टीएनपी डेस्क (TNP DESK): भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में लगातार हिंसा, लूटपाट, और आगजनी की घटना बढ़ती जा रही है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रदर्शनकारियों के द्वारा कई मंदिरों को तोड़ दिया गया. इसी कड़ी में झारखंड पुलिस के स्पेशन ब्रांच ने राज्य के सभी डीसी, एसएसपी और एसपी को पत्र लिखकर चेतावनी दी है. चेतावनी देते हुए स्पेशन ब्रांच ने बताया कि झारखंड में बांग्लादेशी मूल के लोगों की घुसपैठ का खतरा है. वहीं इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने भी संथाल इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए संताल के डीसी को निर्देश दिया है कि संताल में जितने भी बांग्लादेशी घुसपैठियां है उन्हें चिन्हित कर वापस भेजे. इसी कड़ी में अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बांग्लादेशी घुसपैठियां को लेकर बड़ी बात कही है.
'बांग्लास्तान' नामक देश बनाने की चल रही साजिश – बाबूलाल
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, झारखंड के बड़े हिस्से(संथाल बहुल इलाके), बिहार का किशनगंज जिला, पश्चिम बंगाल, अधिकांश उत्तर पूर्वी राज्य, नेपाल और म्यांमार के कुछ हिस्से को मिलाकर 'बांग्लास्तान' नामक देश बनाने की साजिश चल रही है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 14, 2024
5 अगस्त को शेख हसीना सरकार की तख्तापलट के बाद… pic.twitter.com/4jTUK4kGPu
बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने बड़ी बात कहते हुए कहा कि “खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, झारखंड के बड़े हिस्से(संथाल बहुल इलाके), बिहार का किशनगंज जिला, पश्चिम बंगाल, अधिकांश उत्तर पूर्वी राज्य, नेपाल और म्यांमार के कुछ हिस्से को मिलाकर 'बांग्लास्तान' नामक देश बनाने की साजिश चल रही है. 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार की तख्तापलट के बाद कट्टरपंथी गज़वातुल-हिंद ( गैर मुसलमानों के खिलाफ युद्ध) और इस्लामिक बांग्लादेश के मकसद को पूरा करने की जुगत में लगे हैं.
सत्ता के लिए हमेशा विदेशी ताकतों के साथ खड़ी है कांग्रेस और झामुमो
साथ ही उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में उत्पन्न हालात और कट्टरपंथियों का खतरनाक मंसूबा पूरे देश के साथ-साथ झारखंड के लिए भी अत्यंत संवेदनशील है. झारखंड में जिस प्रकार अचानक से बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ी है, उससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस और झामुमो भी कट्टरपंथियों के मकसद को पूरा करने में लगे हुए हैं. राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश और समाज का विभाजन करने वाली कांग्रेस-झामुमो जैसी पार्टियां सत्ता के लिए हमेशा विदेशी ताकतों के साथ ही खड़ी नजर आई हैं. इसलिए इस कठिन घड़ी में आदिवासी समाज के साथ-साथ साढ़े तीन करोड़ झारखंडवासियों को भी चौकन्ना रहने की आवश्यकता है.