रांची (TNP Desk) : लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद नामांकन का दौर शुरू हो गया है. वहीं विभिन्न दलों के नेता प्रचार-प्रसार में भी जुट गए हैं. इन सबके बीच हर बार की तरह इस बार भी कई ऐसे नेता हैं जो चुनाव लड़ने के लिए पाला बदलकर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं. और उन नेताओं को टिकट भी मिल रहा है. आज हम बात कर रहें हैं झारखंड के राजनीति की. झारखंड में भी ऐसे नेता हैं जो पाला बदलकर सत्ता के शीर्ष तक पहुंच गए हैं और आज सबसे भरोसेमंद सिपाही बन गए हैं. बता दें कि झारखंड के 14 लोकसभा सीट में बीजेपी ने 13 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि कांग्रेस ने अभी तक सिर्फ तीन सीटों पर प्रत्याशियों का एलान किया है. इसमें कुछ ऐसे नेता हैं जो पहले किसी दूसरे दलों में शामिल थे और किसी और पार्टी के बफादार सिपाही बन गये हैं.
भाजपा के सबसे भरोसेमंद अर्जुन मुंडा पहले आजसू और झामुमो के थे नेता
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पहले आजसू में जुड़े, इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हुए. झामुमो से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अर्जुन मुंडा 1995 में पहली बार विधायक बने थे. उन्होंने जेएमएम के टिकट पर खरसावां विधानसभा सीटी जीते. अलग झारखंड बनने के बाद साल 2000 में हुए चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. बाद में झारखंड के मुख्यमंत्री भी बने. अब केंद्र में बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. बीजेपी ने इन्हें इस बार फिर से खूंटी लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया है.
रांची सांसद संजय सेठ का भी दलबदल का रहा है इतिहास
रांची से बीजेपी सांसद संजय सेठ का भी इतिहास दलबदल का रहा है. उन्होंने अपनी सियासी पारी का आगाज पहले भाजपा से की थी. बाद में वे पाला बदलकर बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा में शामिल हो गए थे. बाद में फिर घर वापसी करते हुए भाजपा में शामिल हो गए. रघुवर सरकार के दौरान संजय सेठ खादी ग्रामोउद्योग बोर्ड के अध्यक्ष बने. 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार उन्हें टिकट दिया गया और भारी मतों से सांसद चुने गए.
शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने झामुमो से बगावत कर बीजेपी का थामा दामन
दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन अपने सियासी पारी में पहली बार झामुमो और परिवार से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए. सीता सोरेन दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. दुर्गा सोरेन की मौत के बाद पहली बार 2009 में सियासी पारी का आगाज किया. वो तीन बार जामा से विधायक रहीं हैं. अभी हाल ही में उन्होंने झामुमो छोड़ बीजेपी का दामन थामा और पार्टी ने भी सीता को दुमका से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. पहले भाजपा ने सुनील सोरेन को टिकट दिया था.
पहले जेवीएम में थे बीजेपी प्रत्याशी मनीष जायसवाल
हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी मनीष जायसवाल भी पहले झारखंड विकास मोर्चा के नेता थे. 2009 में पहली बार जेवीएम से मांडू में उपचुनाव लड़े. बाद में वे जेवीएम से भाजपा में शामिल हुए. 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर हजारीबाग सदर से विधानसभा चुनाव लड़े और विधायक बने.
2005 में पहली बार वनांचल कांग्रेस के टिकट पर ढुल्लू महतो ने लड़ा चुनाव
धनबाद लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी ढुल्लू महतो भी पाला बदलकर भाजपा में शामिल हुए हैं. उन्होंने अपनी राजनीतिक शुरुआत 2005 में वनांचल कांग्रेस के टिकर पर बाघमारा से चुनाव लड़े. इसके बाद 2009 में जेवीएम प्रजातांत्रिक के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2014 में जेवीएम छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और बाघमारा से विधायक बने. इसके बाद 2019 में फिर बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. अब धनबाद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है.
अब कांग्रेस छोड़ बीजेपी के साथ हैं गीता कोड़ा
पश्चिमी सिंहभूम से सांसद गीता कोड़ा भी पाला बदलने में माहिर हैं. पहले उनकी अपनी पार्टी से किस्मत अजमाई. 2014 के चुनाव में जनसमानता पार्टी से चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं. बाद में 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया, पार्टी ने भी उन्हे पश्चिमी सिंहभूम से टिकट दिया और लोकसभा सांसद चुनी गयीं. अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले गीता कोड़ा ने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गई. पार्टी ने उन्हें पश्चिमी सिंहभूम से प्रत्याशी बनाया है.
झामुमो छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे विद्युतवरण महतो
जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विद्युतवरण महतो भी झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. काफी लंबे समय तक वे झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहे लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव से पहले कमल थाम लिया. भाजपा ने भी उन्हें टिकट दिया और उन्होंने डॉ. अजय कुमार को हराया. इसके बाद 2019 में फिर विद्युतवरण महतो सांसद चुने गए. अब तीसरी बार भाजपा ने उन्हें टिकट दिया है.
कालीचरण सिंह को भाजपा ने चतरा से बनाया उम्मीदवार
बीजेपी ने चतरा लोकसभा क्षेत्र को पहली बार स्थानीय उम्मीदवार दिया है. भाजपा के टिकट पर पहली बार कालीचरण सिंह चुनावी मैदान में उतरे हैं. वे भी पहले जेवीएम थे बाद में भाजपा में शामिल हुए थे.
जयप्रकाश भाई पटेल भी पाला बदलने में किसी से नहीं हैं कम
झामुमो से राजनीति की शुरुआत करने वाले जयप्रकाश भाई पटेल भी राजनीतिक लाभ लेने में किसी से कम नहीं हैं. पहले झामुमो से विधायक बने बाद में 2019 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए और मांडू से विधायक बने. अब कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. कांग्रेस ने भी जय प्रकाश भाई पटेल को हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया है.
सुखदेव भगत भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हुए थे शामिल
कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले सुखदेव भगत भी 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. जबकि 2019 की लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था और बीजेपी के सुदर्शन भगत को कड़ी टक्कर दी थी. लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. सुखदेव भगत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2022 में घर वापसी करने वाले सुखदेव भगत को कांग्रेस ने लोहरदगा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है.