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झारखंड की राजनीति में भूचाल! भाजपा के संपर्क में नहीं कांग्रेस को बाय-बाय बोलने की तैयारी में हेमंत

झारखंड की राजनीति में भूचाल! भाजपा के संपर्क में नहीं कांग्रेस को बाय-बाय बोलने की तैयारी में हेमंत

रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में गठबंधन में टूट और एनडीए की सरकार बनाने की चर्चा तेज है. एकाएक चर्चा शुरू हो गई की हेमंत और भाजपा नेताओं की मुलाकात गुप्त तरीके से दिल्ली में हुई और झारखंड में गठबंधन पर इसका असर पड़ेगा. लेकिन इसकी सच्चाई क्या है और पूरी कहानी कैसे शुरू हुई यह जानने की कोशिश करेंगे.

गठबंधन में दरार की खबरें बिहार चुनाव के साथ सामने आई. खुल कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बगावत का ऐलान किया. लेकिन बाद में खुल कर कुछ नहीं बोला बावजूद अंदर खाने बिहार में धोखे का बदला समय आने पर लेने की चर्चा शुरू हुई. अब बिहार का चुनाव खत्म हो गया. लेकिन झामुमो ने साफ कहा था की पूरे चुनाव में जिस तरह का धोखा दिया है इसपर अब समीक्षा की जाएगी और फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लेंगे.

बस इस बयान के बाद ही यह कयास लग रहे थे की झारखंड में गठबंधन का स्वरूप बदल सकता है. इसमें पहले राजद और दूसरा कांग्रेस को बाहर का रास्ता जल्द दिखाया जाएगा. इसके पीछे की कहानी साफ है कि बिहार में चुनाव से पहले झामुमो गठबंधन का हिस्सा रहा लेकिन आखरी समय में गठबंधन में सीट बटवारे पर कोई सहमति नहीं बनी झामुमो को दरकिनार किया गया. इसके बाद अब झारखंड में हेमंत सोरेन कांग्रेस और राजद को सरकार से बाहर करने पर मंथन कर रहे है.

अब भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर बात कर लेते है. झारखंड मुक्ति मोर्चा यह कभी नहीं चाहेगी की वह भाजपा के साथ जाए. इसके पीछे की वजह साफ है जो मैनडेट हेमंत सोरेन को मिला है वह भाजपा के खिलाफ मिला है. यहां पर गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस को अलग करने से हेमंत और झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि चुनाव में कांग्रेस हेमंत और झामुमो के कंधे पर बैठ कर 16 सीट तक पहुंची है. ना की कांग्रेस के साथ आने से हेमंत को फायदा हुआ.

ऐसे में अगर भाजपा की लड़ाई भी किसी क्षेत्रीय दल से नहीं है. उनके कई नेताओं का बयान पहले आया है कि देश में कांग्रेस का कोई नाम लेने वाला नहीं बचेगा.बस इसी राह पर झारखंड की आने वाली राजनीति तय होगी. जिसमें कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा कर हेमंत अकेले सरकार चलाएंगे.          

अगर झारखंड में राजद  और कांग्रेस गठबंधन से बाहर भी हो जाए तो सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. झारखंड में सबसे बड़ी पार्टी झामुमो है जिनके पास 34 विधायक मौजूद है और बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन की जरूरत होगी. इसमें 7 विधायक ही कम है. ऐसे में अगर राजद के तीन,JDU 1,लोजपा 1 के एक विधायक अपना समर्थन दे सकते है. बचे दो विधायक तो कांग्रेस के कई ऐसे विधायक है जो हेमंत सरकार के साथ पार्टी लाइन से अलग हट कर दिख सकते है.

इस सरगर्मी के बीच कांग्रेस में बेचैनी बढ़ी और प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने बयान दिया जिसमें इसे एक महज अफवाह बता दिया. और एक सगुफा करार देते हुए इन सब चीजों से पत्ता काट कर खुद को किनारे कर लिया.

इस बीच भाजपा ने भी इस पूरे सियासी हवा पर अपना पक्ष रखा और प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि झारखंड में जब लूट और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होती है तो कुछ लोगों को लगता है कि फस जाएंगे तो इस तरह से भाजपा में शामिल होने की सियासी खबरे प्लांट की जाती है और जब कार्रवाई हो जाए तो फिर इस कार्रवाई के पीछे भाजपा को बताते हुए सहानुभूति बटोरने का काम करते है.    

अब पूरी चर्चा के बीच देर रात जिस तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक पोस्ट किया उसमें लिखा की झारखंड झुकेगा नहीं और फिर पार्टी प्रवक्ता का वह पोस्ट जिसमें कविता के जरिए यह बताया कि जंजीरों में जकड़ा राजा अब भी सब पर भारी है. यानि साफ है कि सब पर भारी है मतलब कुछ अंदर खाने प्लान बड़ा है. जिसपर आने वाले दिनों में मुहर भी लग सकती है.

अब पूरे प्रकरण को मिला कर देखे तो यह धुआ वहीं उठता है जहां आग लगी हो और ऐसा माना जा रहा है कि झारखंड की राजनीति में आग लग चुकी है. लेकिन इस आग का परिणाम चौकाने वाला हो सकता है.                              

Published at:03 Dec 2025 10:59 AM (IST)
Tags:Jharkhand's political upheaval: Hemant Singh who is not in touch with the BJP is preparing to bid farewell to the Congress.BJP-JMMjharkhand politicsjharkhand NewsRanchi newsRanhci updateThe news postJharkhand Thenewspost jharkhandBJPJMMcongress jharkhandpatnajhakrhand newsjharkhand hindi news
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