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जानिए शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच क्या है आध्यात्मिक अंतर, समझें महत्व

जानिए शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग के बीच क्या है आध्यात्मिक अंतर, समझें महत्व

TNP DESK: पूरे भारत में भगवान शिव की पूजा का एक अलग ही महत्व है. जहां भगवान शिव के अलग-अलग उनके रूपों की पूजा होती है, जिनमें "शिवलिंग" और "ज्योतिर्लिंग" प्रमुख हैं. लेकिन लोग अक्सर इन दोनों शब्दों में अंतर नहीं समझ पाते है. वहीं धार्मिक शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में बहुत अंतर है. चलिए जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है और इनकी धार्मिक मान्यताएं क्या कहती हैं.

क्या है शिवलिंग?

शिवलिंग भगवान शिव जी का प्रतीक रूप है. यह भगवान शिव जी का निराकार रूप को दर्शाता है. "लिंग" का अर्थ होता है"प्रतीक", और शिवलिंग सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार का प्रतीक माना जाता है.

तीन भागों में बांटा जाता है शिवलिंग

पहला ब्रह्मा का भाग (निचला हिस्सा)सृष्टि का प्रतीक वही दूसरा विष्णु का भाग (विचला भाग) पालन का प्रतीक और तीसरा रूद्र का भाग (ऊपरी भाग) संहार का प्रतीक.बता दे शिवलिंग मंदिरों में, घरों में, और विशेष पूजा स्थलों पर स्थापित किए जाते हैं और उनकी नियम से पूजा-अर्चना की जाती है.

क्या है ज्योतिर्लिंग?

ज्योतिर्लिंग का अर्थ है ज्योति का लिंग .यह भगवान शिव जी का वह शक्ति है जो ज्योति (प्रकाश) से प्रकट हुआ.बता दे ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति की सारी कथाएं शिव पुरान में लिखी गई है. कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच यह विवाद हुआ कि कौन सबसे ज्यादा शक्तिशाली है. तब भगवान शिव एक अनंत ज्योति स्तंभ के रूप से निकली और दोनों को उसकी शुरुआत और अंत खोजने को कहा. ब्रह्मा जी ने झूठ बोला और विष्णु जी ने हार स्वीकार की. तभी शिव प्रकट हुए और ब्रह्मा को झूठ बोलने पर श्राप दे दिया.

भारत में कुल 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ (गुजरात),मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश),ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश),केदारनाथ (उत्तराखंड),भीमाशंकर (महाराष्ट्र),काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश),त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र),वैद्यनाथ (झारखंड),नागेश्वर (गुजरात),रामेश्वरम (तमिलनाडु), घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) बता दे इन जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकाश रूप में प्रकट हुए थे.भगवान शिव की स्वयंभू भी कहा जाता है.

जहां शिवलिंग भगवान शिव की प्रतीक उपासना का माध्यम है, वहीं ज्योतिर्लिंग उनके दिव्य प्रकट रूप की आराधना का केन्द्र हैं. दोनों ही शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग भक्तों के लिए पवित्र है, लेकिन इनकी आध्यात्मिक महत्ता और उत्पत्ति की कहानियाँ अलग हैं. जहां शिव की भक्ति करने वाले हर व्यक्ति को इन दोनों रूपों के बारे में पता होना चाहिए .

Published at:09 May 2025 06:01 AM (IST)
Tags:ShivlingJyotirlingspiritualspiritual newsDiffrence between shivling and Jyotirling Dharm Todays news Art and culture God shiva12 jyotirlinga
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