टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है. राज्य के युवाओं को बजट से ज्यादा ये उम्मीद है कि सरकार नियोजन नीति लाएगी. सीएम हेमंत सोरेन ने इस मार्फत युवाओं से बात भी की थी और उनसे राय लिया था. लेकिन बड़ा सवाल है कि सरकार क्या इस बजट सत्र में नियोजन नीति लाएगी? अगर सरकारी नियोजन नीति के विधेयक को लाती है तो वो कैसा होगा? क्या इस बार सरकार ऐसे नियोजन नीति पर काम कर रही है, जिसमें कोई अड़चन ना आए और युवाओं की बहाली का रास्ता साफ हो जाए.
झारखंड सरकार की क्या है तैयारी?
झारखंड सरकार के लिए युवाओं को रोजगार देना बहुत ही ज्यादा जरूरी है, एक तो झामुमो के घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार देने की बात थी, वहीं दूसरी ओर अगले साल चुनाव भी होने हैं, चुनाव से पहले अगर सरकार बहाली का रास्ता साफ नहीं करती है तो ये सरकार के लिए बुरा साबित हो सकता है. ऐसे में सरकार की पूरी तैयारी है कि इस बजट सत्र में नियोजन नीति विधेयक लाए. बीते दिन यूपीए विधायक दल की बैठक में भी इस बात पर जोर दिया गया था और बताया गया कि इस सत्र में सरकार नियोजन नीति विधेयक ला सकती है.
कैसी होगी नियोजन नीति?
झारखंड सरकार की तैयारी है कि वह 2016 के पहले की नियोजन नीति को फिर से लागू करें. 2016 के पहले की नियोजन नीति में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. वहीं 50 फीसदी ओपन था. लेकिन इसके बाद ही EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण का भी प्रावधान लाया गया. इसके बाद अगर सरकार 2016 से पहले की नीति लाती है तो सरकार 60 फीसदी आरक्षण लागू कर सकती है. लेकिन पूरी तरह से इसमें और क्या बदलाव होता है, ये तो विधेयक पेश करने के बाद ही पता चल पाएगा.
2016 की नियोजन नीति क्यों नहीं
2016 में रघुवर दास की सरकार बनने के बाद सरकार एक नई नियोजन नीति लाई थी. इस नीति के तहत प्रावधान था कि 13 जिले पूरी तरह से वहीं के स्थानीय ले लिए आरक्षित रहेंगे, वहीं 11 जिले अनारक्षित रहेंगे. इस नीति को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 100 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को असंवैधानिक बताया था.
2021 की नियोजन नीति को हाई कोर्ट ने क्यों किया रद्द
बता दें कि 2019 में जब झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो नया नियोजन नीति लाया गया. इस नीति के तहत राज्य के विभिन्न पदों के लिए वे ही अभ्यर्थी अप्लाई कर सकेंगे, जिन्होंने अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई झारखंड से ही की हो. इसे भी झारखंड हाई कोर्ट ने असंवैधानिक बताया और इस नियोजन नीति को रद्द कर दिया. इस नियोजन नीति के रद्द कर दिए जाने के बाद JSSC के द्वारा ली जाने वाली करीब एक दर्जन से ज्यादा परीक्षाएं रद्द कर दी गई. इसके विरोध में छात्रों ने विधानसभा का घेराव भी किया, जिसमें उन्होंने सरकार की ओर से आश्वासन दिलाया गया कि सरकार जल्द ही नई नियोजन नीति लाएगी और जल्द ही बहाली निकलेगी.
अब इस बजट सत्र में युवा सरकार से वही आश्वासन पर अमल करने की उम्मीद कर रहे हैं. सरकार भी उसी कोशिश में जुटी हुई है, बस नियोजन नीति के विधेयक का अब विधानसभा में पेश होने का इंतजार है.