टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-डुमरी उपचुनाव में जेएमएम की बेबी देवी ने विजय पताका फहराकर, सभी कयासों और समीकरणों को धवस्त कर दिया. वैसे चुनाव से पहले, जो हवा बह रही थी औऱ जो बयार बनायी जा रही थी. इससे कई तरह के सवाल फिंजा में तैर रहे थे. बड़े-बड़े नेताओं के दौरे और जीत के दावे और जयकारों से आसमान गूंज रहा था. हालांकि, जो डुमरी ने जनादेश दिया, उससे भाजपा के समर्थन में उतरी आजसू को तगड़ा झटका लगा. इसकी वजह रही ओवेसी की पार्टी AIMIM. इस पार्टी को आमूमन मुस्लिम मतदाता वोट देते हैं. लेकिन, इस बार वो मत उन्हें मिला ही नहीं, बल्कि मुसलमान वोटर्स ने जेएमएम को वोट देकर बेबी देवी की जीत की राह आसान बना दी.
वोट कटवा ओवसी का जलवा नहीं चला
डुमरी के रण में असुद्दीन ओवेसी भी आए थे, अपने लजीज बातों औऱ तीखे तंज से बीजेपी औऱ कांग्रेस को घायल कर दिया था. लज्जतदार बातों और तेवरों से महफिल भी लूट ली थी. लेकिन, जनाब का भाषण अपनी तरफ वोट नहीं खींच सका. उनके उम्मीदवार अब्दूल मोमिन रिजवी को सिर्फ 3472 ही वोट मिले. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में डुमरी में ओवेसी के बगैर आए रिजवी ने 26 हजार वोट हासिल कर चौका दिया था . अगर रिजवी को यही वोट इसबार उपचुनाव में हासिल हो गया होता, तो शायद आजसू की यशोदा देवी जीत जाती. लेकिन, मुसलमान मतदाताओं ने AIMIM की बजाए JMM को वोट देना मुनासिब समझा. क्योंकि, ये बात समझ में आ चुकी थी कि अब्दुल मोमिन रिजवी तो जीत नहीं सकते. उनके वोट से भाजपा समर्थित पार्टी को ही फायदा मिलेगा. लिहाजा, बीजेपी को रोकने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा को वोट देना मुनासिब समझा गया. जो बेबी देवी को डुमरी का किला फतह करने में मदद की. बेबी देवी 17 हजार वोट से जीती, जबकि पिछली बार उनके पति दिवंगत जगरनाथ महतो 30 हजार से ज्यादा मतो से विजयी हुए थे. पिछली बार भाजपा औऱ आजसू ने भी अलग-अलग चुनाव लड़ा था. जिसका लाभ जगरनाथ महतो को मिला था.
डुमरी के वोट समीकरण का इफेक्ट
ओवसी की पार्टी AIMIM को पर बीजेपी की बी टीम की तोहमत लगते रही है. क्योंकि, इस पार्टी को वोट पड़ने से भाजपा को ही फायदा पहुंचता है. क्योंकि, इस पार्टी में आमूमन मुसलमान वोटर ही इसके वोटबैंक होते हैं. AIMIM को वोट पड़ने से भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी रण आसान बन जाती है. क्योंकि, मुस्लिम मतदाताओं के वोट छिटकने से उसने लिए मुकाबला आसान बन जाता है. हालांकि, इस बार डुमरी उपचुनाव में ऐसा नहीं हुआ. AIMIM को अपने कैडर वोट ने ही दगा दे दिया.अगर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी AIMIM का वोट बैंक भाजपा को रोकने के लिए I.N.D.I.A में शिफ्ट हुआ, तो फिर N.D.A के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी. इसकी बानगी डुमरी विधनसभा उपचुनाव में दिख गई है.