गुमला(GUMLA):गुमला जिला में इन दिनों वन विभाग की ओर से जंगल को बचाने के उद्देश्य से लोगों के बीच विशेष रूप से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिसमे पहली बार ग्रामीणों की भागीदारी भी देखने को मिल रही है. जिसको लेकर वन विभाग के पदाधिकारियों में उत्साह देखने को मिल रहा है.
जागरूकता अभियान जमीनी स्तर पर चलाया जा रहा है
आपको बताये कि झारखंड में वनों को बचाने के लिए हर वर्ष करोड़ो रूपये खर्च किये जाते है लेकिन इस बार जिस तरह से जागरूकता अभियान जमीनी स्तर पर चलाया जा रहा है, उससे लोगों के जुड़ाव के साथ इसका प्रभाव भी बनता है नजर आ रहा है.झारखंड सरकार के विभिन्न जिला में इस तरह का जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमे गुमला जिला के दो प्रखंड बिशुनपुर और घाघरा के बीस पंचायत में शुरू किया गया है,जहां वन विभाग की टीम पहुंचकर स्थानीय भाषा और परंपरा के अनुसार लोगों को जागरुक किया जा रहा है.जिससे लोगो को सीधा जुड़ाव देखने को मिल रहा है.
पढ़ें डीएफओ अहमद बेलाल अनवर ने क्या कहा
डीएफओ अहमद बेलाल अनवर ने बताया कि वन विभाग की टीम जब गांव में पहुंचती है तो सबसे पहले परंपरागत तरीके से पूजा पाठ करती है, जिससे लोगों को सीधे जुड़ाव बन जाता है.डीएफओ ने कहा कि आदिवासी समाज का इतिहास है कि वह जंगलों से पूरी तरह जुड़ा हुआ रहा है ऐसे में उसी सम्बंध को स्थापित कर जंगल को बचाने की कोशिश की जा रही है.वन विभाग से जंगल के संरक्षण को लेकर जिस तरह से जमीनी स्तर पर कोशिश की जा रही है. उसे सामाजिक कार्यकर्ताओ ने भी पूरी तरह से सराहा है लोगो का स्पष्ट कहना है कि पहली बार लग रहा है कि लोगो के बीच सही रुप से टीम पहुंच रही है.
इस पहल से लोगों का जुड़ाव हो रहा है
वहीं स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता शहजाद अनवर ने कहा कि एक समय था कि गुमला को मिनी शिमला कहा जाता था, लेकिन आज वनों की स्तिथि में कमी आने से परिस्तिथियां बदल गयी है.ऐसे में वन विभाग की इस पहल से लोगों का जिस तरह से जुड़ाव हो रहा है, उससे निश्चित रूप से आने वाले दिनों में वनों का सरक्षण सही रूप से हो पायेगा, क्योंकि कार्यक्रम में लोगो के जिस तरह से उत्साह पूर्ण भागीदारी हो रहा है उससे बेहतर परिणाम अवश्य निकलेगा.
रिपोर्ट-सुशील कुमार