रांची (RANCHI) : झारखंड में एक बार फिर मेडिकल प्रोटेक्शन ऐक्ट और क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act की मांग जोर पकड़ने लगी. झारखंड IMA भवन में IMA झारखंड प्रदेश की एक बैठक हुई. इस बैठक में डॉक्टरों की समस्या पर चर्चा की गई. साथ ही मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act जल्द लागू कराने को लेकर आवाज बुलंद की गई है.
क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट कानून जरूरी है
डॉक्टरों की माने तो हर दिन डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की खबरे आती रहती है. ऐसे में डॉक्टर डर के साय में काम करने को मजबूर है.साथ ही क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट कानून नहीं होने के वजह से कई अस्पताल मनमानी करते है. झारखंड जैसे प्रदेश में न्यूनतम दर पर इलाज की सुविधा लोगों को मिल सके. इसके लिए क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट कानून जरूरी है. सरकार को सीधे IMA ने आगाह किया है की जल्द दोनों मामलों पर विचार नहीं करती, तो आंदोलन का रास्ता चुनने को डॉक्टर मजबूर होंगे.
क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act लंबे समय से लंबित
बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act लंबे समय से लंबित है. हर बार सरकार से आश्वासन मिलता है लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है.यह दोनों बिल डॉक्टर के साथ साथ मरीजों के लिए भी काफी बेहतर है.हर दिन डॉक्टरों के साथ मारपीट हो रही है.
आंदोलन से मरीजों को परेशानी
मेडिकल प्रोटेक्शन ऐक्ट को कैबनेट से पास कर सदन में पेश किया गया. बाद में इसे प्रवर समिति में भेज दिया गया.आखिर कब इस बिल को कानून बनाया जाएगा. राज्य में अब कोई चिकित्सक काम नहीं करना चाहता है. डॉक्टर किसी तरह का आंदोलन नहीं करना चाहते है आंदोलन से मरीजों को परेशानी होती है. ऐसे में सरकार इसे जल्द पूरा करने का काम करें.
डॉक्टर के साथ साथ मरीजों को फायदा
प्रदेश सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने भी सरकार को आईना दिखाया. पूछा आखिर कब अपने वादे को सरकार पूरा करेगी. मेडिकल प्रोटेक्शन ऐक्ट और क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act से डॉक्टर के साथ साथ मरीजों को फायदा होगा. क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act जब सख्ती से लागू हो जाएगा तो एक निर्धारित दर पर मरीजों का इलाज होगा. IMA के द्वारा मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारी तक से गुहार लगा चुके है.
जल्द निर्णय नहीं लेती है तो होगा त्राहिमाम
सरकार ने एक कमिटी भी बनाई थी उसकी भी रिपोर्ट चार माह पहले भेज दी गई है. लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं. उन्होंने बताया कि जब आप नियम में संसोधन कर रहे है तो इसे बिना विधानसभा में पेश किए लागू किया जा सकता है. क्लीनिकल स्टाइब्लिस्ट act में सरकार जल्द निर्णय नहीं लेती है. तो एक त्राहिमाम जैसे हालत हो जाएगी. जो इलाज पाँच हजार में हो रहा है वह पांच लाख में होने लगेगा.समय रहते सरकार काम करें अन्यथा जनता इसका परिमाण भुगतेगी.