धनबाद(DHANBAD): मानदेय घोटाले में फंसे धनबाद के केंद्रीय ईंधन अनुसंधान संस्थान(सिम्फ़र) के वैज्ञानिकों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तो सीबीआई ने उनके खिलाफ मुकदमा कर जांच शुरू कर दी है तो दूसरी तरफ भुगतान की भारी रकम की चर्चा ने उन्हें परेशानी में डाल दिया है. जिन- जिन वैज्ञानिकों के नाम भुगतान को लेकर सामने आये है , उनमें डर समा गया है. फिलहाल धनबाद में प्रिंस खान और अमन सिंह गैंग का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है. ऐसे में सिम्फ़र के वैज्ञानिकों का नाम उछलने से उनके मन में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. सूत्र बताते हैं कि वैज्ञानिक अपनी सुरक्षा को लेकर शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की है. अपनी डर से उन्हें अवगत कराया है.
सिम्फ़र के पूर्व निदेशक को मिला है पंद्रह करोड़ का भुगतान
सिम्फ़र के पूर्व निदेशक को 15 करोड़ का भुगतान हुआ है, जबकि मुख्य वैज्ञानिक ए के सिंह को नौ करोड़ रुपए से कुछ अधिक मिले है. कई और वैज्ञानिक हैं, जिन्हें एक करोड़ से अधिक का भुगतान हुआ है. यह अलग बात है कि कितनी की गड़बड़ी हुई है, भुगतान का तरीका सही था , अथवा गलत, इसकी जांच सीबीआई कर रही है. जांच से ही स्पष्ट हो पाएगा कि यह मामला कितना गंभीर है लेकिन धनबाद कोयलांचल में गैंग्स की सक्रियता ने वैज्ञानिकों को परेशानी में डाल दिया है. इधर, मछली कारोबारी रसीद महाजन और अप्सरा ड्रेसेस के मालिक के घर पर हुई फायरिंग के मामले में प्रिंस खान के खासमखास सबन खान ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया है. न्यायालय ने उसे हिरासत में जेल भेज दिया है.
पांच हो गए थे गिरफ्तार, छठे ने किया सरेंडर
उपरोक्त घटनाओं में पुलिस सूत्रों के अनुसार 5 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. जबकि एक गिरफ्तारी से दूर था. पुलिस की दबिश के कारण वह आत्मसमर्पण कर दिया है. हो सकता है कि पुलिस रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ करें, वैसे पुलिस ने दावा किया था कि प्रिंस खान के आर्थिक तंत्र को तोड़ दिया गया है. पैसा वसूली से लेकर फायरिंग और रंगदारी वसूली तक में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. सूत्रों के अनुसार प्रिंस खान का गैंग बहुत ही "सिस्टमैटिक" काम करता है. कोड के आधार पर हेलमेट पहने युवक पहुंचते हैं और फायरिंग गैंग को हथियार और पैसे का भुगतान करते है. इसका भी पकड़ाए लोगो से पूछताछ में खुलासा हो चुका है. बहरहाल पुलिस फिलहाल इस फायरिंग गैंग के पीछे पड़ी हुई है. देखना है पुलिस को पूरी तरह से तोड़ने में कब तक सफलता मिलती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो