गुमला (GUMLA): गुमला और आसपास के जिलों में दो दशकों से आतंक फैलाने वाले कुख्यात झांगुर गिरोह के कमजोर पड़ने के संकेत मिल रहे हैं. जानकारी के अनुसार गिरोह के सुप्रीमो रामदेव उरांव सहित कई सक्रिय उग्रवादी जल्द ही झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि गिरोह के कुछ सदस्य पहले से ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संपर्क में हैं और औपचारिक आत्मसमर्पण की प्रक्रिया जल्द पूरी हो सकती है.
रामदेव उरांव और उसके दो करीबी साथी इस समय हथियारों के साथ पुलिस के संपर्क में बताए जा रहे हैं. उम्मीद है कि गिरोह के बाकी सदस्य भी आने वाले दिनों में सामने आएंगे. सभी उग्रवादी रांची जोनल आईजी के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे.
झांगुर गिरोह ने वर्ष 2002 में अपनी गतिविधियां शुरू की थीं और 23 साल तक गुमला व आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल बनाए रखा. सुप्रीमो रामदेव उरांव पर नरसंहार, अपहरण, रंगदारी, गोलीबारी और आगजनी जैसे 27 गंभीर मामले दर्ज हैं. गिरोह के अन्य सदस्यों पर भी कई आपराधिक केस दर्ज हैं.
20 जनवरी 2025 को घाघरा के देवरागानी में पुलिस मुठभेड़ के बाद रामदेव उरांव फरार हो गया था. तभी से पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी. वर्तमान में गिरोह के कुल 13 सदस्य सक्रिय माने जा रहे हैं. झांगुर गिरोह के आत्मसमर्पण से गुमला और आसपास के जिलों में शांति स्थापना और कानून व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है.
