दुमका (DUMKA): वैसे तो कहा जाता है कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, माता कुमाता नहीं हो सकती. इसके बावजूद समय-समय पर कुछ ऐसे मामले सामने आते है. जो मां की ममता को शर्मशार कर देता है. ऐसा ही एक मामला दुमका जिला का है. जिले की एक महिला ने 4 वर्ष पूर्व दिल्ली में एक बेटा को जन्म तो दिया लेकिन जन्म के बाद उसे अपनाने से इनकार कर दिया. अब बाल कल्याण समिति ने इटली के एक निःसंतान दंपत्ति को वह बच्चा गोद दिया है.
इटली के दंपत्ति ने बच्चे को लिया गोद
दुमका जिले से पहली बार इंटर-कंट्री एडोप्सन दिया गया है. इटली के दंपत्ति ने पिछले चार सालों से दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में रह रहे बालक को गोद लिया है. साउथ इटली के कोजेथा इलाके में रहनेवाले इटली का यह दंपत्ति कई सालों से बच्चे का इतजार कर रहा था. सोमवार को दुमका पहुंचने पर जब बालक को उनके गोद में दिया गया तो खुशी से दंपत्ति की आंखें भर आयी. श्री अमड़ा में संचालित दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने दंपत्ति के गोद में बच्चे को सौंप दिया. तत्कालीन उपायुक्त रवि शंकर शुकला ने 04.03.2023 को इस बालक को इटली के दंपत्ति को एडोप्सन देने के आदेश पर अपनी मुंहर लगा दी. बच्चे को गोद लेने वाले उसके पिता इटली में पुलिस पदाधिकारी हैं और उनकी पत्नी गृहणी है. दोनों न तो अंग्रेजी जानते हैं और न हिन्दी. इसलिए वह अपने साथ दिल्ली से एक इंटरप्रेटर को लेकर यहां आये थे. उन्होंने बताया कि दोनों ने 2008 में शादी किया है. उन्हें कोई संतान नहीं है. यूटेरश निकाले जाने के कारण उनकी पत्नी मां नहीं बन सकती है. दो साल पूर्व उन्होंने बच्चा गोद देने का निर्णय लिया ओर कारा के साइट पर अपना निबंधन करवाया. दोनों पति-पत्नी बेटे को गोद में पाकर खाफी खुश थे. वे बच्चे के लिए इटली से ढेर सारे खिलोने लेकर आये थे. उन्होंने बताया कि उनका संयुक्त परिवार है और परिवार के सभी सदस्य बेसब्री से बच्चे का इंतजार कर रहे हैं. बच्चे का पोसपोर्ट पूर्व में ही बनाया जा सका है. दुमका से दंपत्ति उसे लेकर कोलकाता जाएंगे ओर वहां बच्चे का वीसा बनवाने के बाद दिल्ली जाएंगे. 9 या 10 सितम्बर को वह बच्चे को लेकर इटली लौट जाएंगे. 2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 18वां और पहला इंटर कंट्री एडोप्सन है.
दिल्ली के सफरदगंज अस्पताल में मिला था बालक
दुमका के इस बालक के जन्म से लेकर उसके एडोप्सन की प्रक्रिया पूरी होने की कहानी बहुत ही मार्मिक है. जिले के सरैयाहाट थाना क्षेत्र की एक महिला अपने पति के साथ काम करने के लिए दूसरे राज्य चली गयी थी. वहां से वह परिवार के सदस्य के साथ भाग गयी. एक साल बाद उसने सफदरगंज अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया . लेकिन, जब उसे पता चला कि नवजात में मेंडिकल समस्या हे तो वह उसे अस्पताल के बेड पर छोड़कर भाग गयी. उसने अपना पता दुमका का लिखाया था. लिहाजा दिल्ली सीडब्ल्यूसी ने दुमका सीडब्ल्यूसी से संपर्क किया. बच्चे की मेडिकल स्थिति जानने पर दुमका सीडब्ल्यूसी ने इलाज करवाने के बाद ही बच्चे को दुमका ट्रांसफर करने का आग्रह किया पर बच्चे का मामूली ऑपरेशन करवा कर उसे दुमका भेज दिया गया. समिति ने जब बालक के परिवार से संपर्क किया .तो उन्होंने उसे अपनाने से इंकार कर दिया. दुमका सीडब्ल्यूसी ने रिम्स में बच्चे का इलाज करवाया और 30.12.2019 को इस बच्चे को एडोप्सन के लिए लीगली फ्री घोषित कर दिया. चुंकि यह बालक स्पेशल नीड चाइल्ड था इस कारण भारत के निःसंतान दंपत्ति ने देखने के बाद बच्चे को गोद लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद इस बालक को कारा के द्वारा इंटर कंट्री एडोप्सन के लिए ओपेन कर दिया गया. इटली के इस दंपत्ति ने बच्चे का फोटो और मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद इसका एडोप्सन लेने की स्वीकृति दे दी.
रिपोर्ट. पंचम झा