रांची(RANCHI): झारखंड जैसे राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल ऐसा हो गया की अब गरीबी और लाचारी का मज़ाक बनाया जा रहा है.बड़े अस्पताल में जाने पर घर जमीन बिक जाती है तो दूसरी तरफ गंभीर बीमारी कैंसर की दवा पर 1900 प्रतिशत मुनाफा कमा कर बेची जा रही है. यानि 600 की दवा 12000 में खुलेआम बिक्री की जाती है.अब इस व्यवस्था पर एक डॉक्टर ने खुद सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है.
सीएम ले सकते है एक्शन
इस प्रतिशत को देखने से ही समझा जा सकता है कि कितना बड़ा स्कैम राज्य में होता है. अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक यह बात पहुंची जिसके बाद जांच का आदेश दिया है. लेकिन सवाल है कि दवा माफिया राज्य के भोले भाले लोगों को कैसे मूर्ख बनाते है.
गरीबी और बेबसी का फायदा उठा रहे दवा माफिया
अगर देखे तो झारखंड में अधिकतर लोग इतने पढ़े लिखे नहीं है कि वह समझ सके की आखिर कितनी की दवा है और कितने में उन्हे बेची जा रही है. खास कर कैंसर जैसे गंभीर बीमारी की दवा पर ऐसा खेल खेला जा रहा है. अब संभावना है कि जल्द ही सीएम का एक्शन देखने को मिल सकता है. जिससे राज्य के गरीब बेबस लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी.
यह खुलासा किसी आम इंसान ने नहीं बल्कि खुद एक डॉक्टर ने किया है और ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने की मांग की है. एक पोस्ट डॉ अनुज कुमार के नाम से सोशल मीडिया पर सामने आया.
कैंसर एक ऐसी बीमारी ने जिसने करोड़ो घर तबाह किए हैं ।
— Dr Anuj Kumar (@dranuj_k) November 28, 2025
सिर्फ मरीज ही नहीं बल्कि मरीज के परिवारों को ।
दवाइयों का खर्च वहन करते करते लोग टूट जाते हैं ।
और कैसे नहीं टूटेंगे अगर 600 रुपये की दवाई पर सरकार ने छूट दे रखी है 12000 रुपये MRP रखने की ।
जी हाँ ।
दवाई है Paclitaxel ।…
डॉ अनुज ने पोस्ट में क्या लिखा
डॉ ने PMO को टैग करते लिखा कि कैंसर एक ऐसी बीमारी ने जिसने करोड़ो घर तबाह किए हैं । सिर्फ मरीज ही नहीं बल्कि मरीज के परिवारों को । दवाइयों का खर्च वहन करते करते लोग टूट जाते हैं । और कैसे नहीं टूटेंगे अगर 600 रुपये की दवाई पर सरकार ने छूट दे रखी है 12000 रुपये MRP रखने की । जी हाँ । दवाई है Paclitaxel । रिटेलर खरीदते हैं 600 में और MRP है 12000. एक मरीज को कई बार 20-30 vial की ज़रूरत पड़ती है । और ये कोई एक दवाई की बात नहीं । कीमोथेरेपी की ज़्यादातर दवाइयों का यही हाल है । 200% मार्जिन भी समझ में आता है लेकिन 1900% margin?? वो कैंसर जैसी बीमारी में , जिसका इलाज वैसे भी काफ़ी लंबा चलता है?? ग़रीब तो मर ही जाएगा ना? ये तो ठीक नहीं हैं ना साहब ?
इस पोस्ट पर PMO से तो कोई जवाब नहीं मिला लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य मंत्री .@IrfanAnsariMLA एवं सभी जिलों के उपायुक्त को संज्ञान लेते हुए रोक लगाने का आदेश दिया है.
गरीब कहां से लाएगा पैसे
अब सवाल है कि कैसे मरीज को राहत मिलेगी. कैंसर का नाम सुनते ही तो लोग डर और दहशत में आ जाते है. सिर्फ मरीज नहीं बल्कि पूरा परिवार ही बर्बाद और टूट जाता है. अगर 12000 में एक vial मिलेगा तो कहा से गरीब दवा लेंगे, कैसे उसका ईलाज हो पाएगा.
मुंबई में एक हजार और झारखंड में 12 हजार
ऐसे में अब जरूरत है कि दवा कारोबार और MRP पर एक कानून बना कर ऐसे लोगों पर सरकार शिकंजा कसे जिससे कम से कम गरीबों को एक राहत मिल सके.यह काम एक दिन में नहीं होगा लेकिन जब एक डॉक्टर ने खुद सवाल खड़ा किया है तो सभी को इनके साथ आने की जरूरत है जिससे झारखंड के उस गरीब को भी बचाया जा सके जो दवा के अभाव में दम तोड़ देटा है. वह बड़े शहर यानि कैंसर अस्पताल TMH तक नहीं पहुंच पता.
डॉ अनुज ने छेड़ी मुहिम
जब टाटा का कैंसर अस्पताल 5 प्रतिशत मार्जिन में दवा की बिक्री कर सकता है तो फिर बाकी अन्य कंपनी कमाई करने का अधिकार किसने दिया है. सोचिए अगर आप का कोई जानने वाला इस गंभीर बीमारी के चपेट में आजाये तो फिर क्या होगा. अभी से सब मिल कर इस कालाबाजारी और लूट के खिलाफ आवाज उठाइए. और डॉ अनुज कुमार का साथ दीजिए. जरूर इस लड़ाई में जीत मिलेगी.
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