टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-झारखंड में बिजली का उपयोग सोच-समझकर करें, जरुरत पर ही इसका इस्तेमाल करे, क्योंकि बिजली की दरों में 20 फीसदी तक बढ़ सकती है. पिछले तीन सालों में बिजली की दरों में कोई बढ़त्तरी नहीं हुई है. लाजमी है कि अगर बिजली की दरें बढ़ती है, तो फिर उपभोक्ताओं को अपनी जेल ढीली करनी पड़ेगी. हालांकि, सालाना राजस्व रिपोर्ट में बिजली वितरण विभाग ने 7400 करोड़ का घाटा दिखाया था . इसमे वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 2200 करोड़, वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 2600 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 2500 करोड़ का घाटा दिखाया गया है. बिजली वितरण निगम ने आगामी वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व रिपोर्ट दाखिल की है. जिसमे 20 प्रतिशत तक दर में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया है. .
कोरोना काल में नहीं बढ़ी थी बिजली की दरे
पिछले तीन वित्तीय वर्षों में बिजली की दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी. कोरोना काल में सरकार ने बिजली मंहगा नहीं किया . इसके साथ ही विद्युत नियामक आय़ोग में अधिकारियों की नियुक्ति नहीं रहने के कारण भी बिजली दर में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव अधर में लटक गया . हालांकि आखिरी फैसला विद्युत नियामक आयोग ही लेगा । इसके लिए तमाम तकनीकी औपचारिकताओं का निपटारा करेगा. इसके बाद सभी पांच प्रमंडलों में जनसुनवाई कर लोगों से सुझाव लिया जायेंगे . इस प्रक्रिया में तीन से चार महीने का समय लग सकता है. अभी राज्य में वित्तीय वर्ष 2019-2020 में तय किया गया बिजली दर ही लागू है
बुधवार को हुई थी बैठक
बिजली वितरण निगम के बोर्ड की बैठक बुधवार को हुई थी. जिसमे राज्य सरकार से 500 करोड़ रुपये के ऋण का प्रस्ताव भेजा गया. बिजली क्रय का बकाया वसूलने के लिए निगम ने ऋण लेने का निर्णय किया है. प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद निगम को ऋण मिलेगा, इसमें तीन-चार दिन लगने की संभावना है.