रांची (RANCHI): पारासनाथ, स्थानीय नीति और 1932 ख़तियान का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है.1932 का ख़तियान को लेकर झारखंड बचाव मोर्चा के साथ अब बड़े आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जा रही है. लोबिन हेम्ब्रम खुद अपनी ही सरकार का विरोध खुलकर कर रहे हैं. इसके अलावा आदिवासी पारासनाथ को लेकर कहा कि यह पहाड़ हमारा मारंगबुरु है. जिसकी आदिवासी समाज में पूजा होती है,और यहां हम बलि देते हैं.
स्थानीय नीति को लेकर बोले हेम्ब्रम
झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने आंदोलन की शुरुआत 27 जनवरी को पारासनाथ से बड़े कार्यक्रम का आगाज करते हुए किया. इसके बाद भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली उलिहातू में एक दिवसीय मौन धरना दिया. साथ ही भोगना डीह में भी प्रदर्शन किया गया है. वहीं मंगलवार को झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने प्रेस वार्ता किया. मौके पर लोबिन हेम्ब्रम ने स्थानीय नीति को लेकर कहा कि झारखंड के नौजवान की मांग शुरू से है कि झारखंड में स्थानीय नीति लागू किया जाए. लेकिन अब तक यह सिर्फ जुमला बन कर रह गया है. इस विधेयक को राज्यपाल ने रद्द कर दिया. एक मामला गोड्डा से सामने आया कि वहां कंपनी में बहाल करने के लिए 25 प्रतिशत से उन्हें दिया जाएगा. जबकि यह विधेयक का अभी कुछ हुआ ही नहीं है. इसके अलावा झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन के खिलाफ भी बोला है. उन्होंने कहा कि सरकार से मांग करते हैं कि इस महाधिवक्ता को हटाया जाए,जबतक यह महाधिवक्ता रहेंगें तब तक झारखंड में स्थानीय नीति लागू नहीं हो सकती है.
पारासनाथ पर हेम्ब्रम की राय
इसके अलावा पारासनाथ को लेकर कहा कि उस जगह पर आदिवासियों का बहा पर्व धूमधाम से होता है. इसके अलावा यहां आदिवासी समाज के कई कार्यक्रम किये जाते हैं. इस स्थल को लेकर 24 फरवरी को झारखंड बंद करने का आह्वान किया था फिलहाल उसे वापस ले लिया गया है. मारंगबुरु झारखंड के लोगों का है और रहेगा. खुद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मारंगबुरु आदिवासी का था और रहेगा लेकिन हाल में जो सामने आया उसमें मुख्यमंत्री ने केंद्र को जो पत्र लिखा उसमें आदिवासी के जमीन का कोई जिक्र नहीं है. अब 14 मार्च को हजारीबाग में एक सम्मेलन किया जाएगा. इसके बाद 18 मार्च को रांची में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में cnt spt समेत कई मांग कोलेकर आंदोलन का शंखनाद करेंगे. लोबिन ने कहा कि जब जमीन ही नहीं रहेगा तो झारखंड को अलग राज्य लेकर हम क्या करेंगे. झारखंड में अभी भी बाहरी लोग के आने का शिलशिला जारी है. नौकरी ही सिर्फ नहीं यहां बिहार के विधायक भी बन रहे हैं. कहा कि झारखंड से अच्छा हम बिहार में ही सुरक्षित थे. यहां के dc और कमिश्नर कहाब सोए हुए हैं.आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. खुद की जमीन से आदिवासी बेदखल कर दिए जा रहे है.
झारखंड में भी पेशा कानून की मांग
लोबिन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पेशा कानून लागू हो गया झारखंड में क्यों नहीं अब तक हुआ है. झारखंड में छत्तीसगढ़ की शराब नीति लागू की जाती है,तो पेशा कानून क्यों नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार अपनी उपलब्धियों को बताएं आखिर तीन वर्षों में क्या किया है. सिर्फ वृद्ध पेंशन दिया है और क्या किया है.