देवघर(DEOGHAR):संताल परगना क्षेत्र ही ऐसा है, जहां बीजेपी को कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है.झारखंड की 81 विधानसभा सीट में से 18 इसी क्षेत्र के है.दलगत बात करें तो 4 बीजेपी,9 झामुमो,1 जेवीएम और 4 कांग्रेस पार्टी के विधायक है.झामुमो का गढ़ माने जाने वाला संताल परगना क्षेत्र पर अब बीजेपी की नजर है.लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव भी होना है.ऐसे में इस बार बीजेपी संताल परगना में फुंकफुक कर कदम रख रही है.जिसका ताज़ा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला है.झामुमो की कद्दावर नेता सीता सोरेन को बीजेपी ने अपने दल में ही नही शामिल किया बल्कि झामुमों का गढ़ दुमका लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का उम्मीदवार भी बना दिया.
संताल परगना का मंत्रिमंडल में रहता है दबदबा
झारखंड में बीजेपी की सरकार हो या फिर झामुमो गठबंधन की सरकार हमेशा मंत्रिमंडल में संताल परगना का दबदबा रहा है.पूर्ववर्ती सरकार में भी दो दो विधायक को मंत्री बनाया गया था.वर्तमान सरकार में तो तीन मंत्री और एक विधानसभा अध्यक्ष बने हुए है.झामुमो के इस गढ़ को तोड़ने के लिए बीजेपी राजनीतिक दांव पेंच में लगी हुई है.लोकसभा चुनाव के बाद तय होगा की बीजेपी का इस प्रमंडल में कितना दबदबा विधानसभा चुनाव में रहेगा.
गोड्डा से निशिकांत के विरुद्ध कौन,सस्पेंस बरकरार
संताल परगना क्षेत्र की तीन सीट पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.झामुमो का सबसे अधिक गढ़ वाला क्षेत्र राजमहल से संभावित विजय हांसदा उम्मीदवार हो सकते हैं ऐसे में इनके विरुद्ध बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी को चुनावी मैदान में उतार दिया है.लगातार दो बार से जितने वाले विजय हांसदा (संभावित उम्मीदवार)के विजयी रथ को रोकने के लिए क्या रणनीति बीजेपी ने तय की है. वह 4 जून को परिणाम आने के बाद ही मालूम चलेगा.वहीं झारखंड की सबसे प्रतिष्ठित सीट दुमका की बात करें तो यहां सोरेन परिवार का दबदबा रहा है.पिछली बार झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को बीजेपी ने पटकनी देते हुए वहां से सुनील सोरेन सांसद बने. बीजेपी के शुरुआती जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में दुबारा सुनील सोरेन को ही प्रत्याशी बनाया था, लेकिन सोरेन परिवार की बहू और भाभी सीता सोरेन ने सुनील सोरेन के चेहरे से खुशी छीन ली.झामुमो से बीजेपी में शामिल होने के बाद जामा विधायक सीता सोरेन को बीजेपी ने दुमका लोकसभा से उम्मीदवार घोषित कर दिया.वहीं इस बार इस सीट से सोरेन परिवार के किसी सदस्य को आलाकमान ने टिकट नही देते हुए सीता सोरेन के खिलाफ झामुमो के शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा है.इस क्षेत्र के लोग अब घरवाला और बाहर वाला को ध्यान में रखकर मतदान करने का मन बना रहे हैं. निशिकांत प्रतिदिन अपने क्षेत्र का दौरा कर लोगो के बीच जा रहे हैं तीसरा और सबसे हॉट सीट गोड्डा की बात करें तो पिछले 3 बार से सांसद बने निशिकांत दुबे के विरुद्ध अभी तक गठबंधन की ओर से किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नही की है.जहां एक ओर गोड्डा सांसद मुखर हो कर चौथी बार जीतने का दावा कर चुनावी मैदान में आने के लिए सभी विपक्षियों को ललकार रहे है तो दूसरी तरफ गठबंधन की ओर से अभी तक यह तय नही हो सका कि किसको उम्मीदवार बनाया जाए जो निशिकांत को हरा सके.निशिकांत प्रतिदिन अपने क्षेत्र का दौरा कर लोगो के बीच जा रहे हैं और उनसे बीजेपी के पक्ष में मतदान करने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन जनता के बीच अभी भी ऊहापोह की स्थिति है कि वो किसको वोट करेंगे,क्योंकि गठबंधन में अभी तक गोड्डा से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.क्या गठबंधन प्रदीप, दीपिका, फुरकान पर दांव खेलेगी या फिर कोई नया चेहरा पर.जो भी हो अब उम्मीदवार की घोषणा में गठबंधन की देरी कही चौथी बार न निशिकांत को सांसद बना दे.हालांकि अभी इस क्षेत्र में चुनाव अंतिम चरण यानी 1 जून को होना है शायद इसलिए गठबंधन की ओर से उम्मीदवार घोषित करने में देरी हो रही होगी.अब देखना है कि निशिकांत के विजय रथ को रोकने के लिए कौन सा योद्धा चुनावी मैदान में आते है.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा