धनबाद(DHANBAD) : चुनाव का मौसम चल रहा है. हर ओर चुनाव की चर्चा है. उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर गए हैं या उतर रहे है. वोटरों तक पहुंचने की लगातार कोशिश कर रहे है. चुनाव आयोग भी अपने ढंग से व्यवस्था करता है. इस बार लोकसभा चुनाव सात चरणों में हो रहा है. जिनमें दो चरण पूरे हो गए है. तीसरे चरण का चुनाव 7 मई को है. जहां-जहां 7 मई को चुनाव होने हैं, वहां सर गर्मी तेज है. प्रत्याशी अपनी अंतिम ताकत झोंके हुए है. वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रचार प्रसार कर रहे है. लेकिन इस चुनाव का खर्च कौन बहन करता है, खर्च कैसे होता है, कितना खर्च होता है, यह भी लोग जानना चाहते है. धनबाद की बात की जाये तो यहाँ 25 मई को चुनाव होना है. लोकसभा के चुनाव में लगभग कितने पैसे खर्च होते हैं ,कितने वोटर हैं ,यह भी लोग जानना चाहते है. उपलब्ध एक आंकड़े के अनुसार 2014 में लोकसभा के चुनाव में 3870 करोड रुपए खर्च हुए थे. 2019 में यह बढ़कर लगभग 50 करोड रुपए हो गए. 2024 के चुनाव में यह आंकड़ा और बढ़ेगा, इसका पूरा अनुमान है.
2024 का चुनाव सात चरणों में 45 दिनों तक चलने वाला है
2024 का चुनाव सात चरणों में 45 दिनों तक चलने वाला है. 4 जून को नतीजे आएंगे. लोकसभा चुनाव के खर्च का पूरा जिम्मा केंद्र का होता है. जबकि राज्य में चुनाव का खर्च स्टेट सरकार उठाती है. अगर दोनों चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं तो दोनों मिलकर खर्च बांटते है. आंकड़े तो यही बताते हैं कि हर चुनाव अपने पहले के चुनाव के खर्च को पीछे छोड़ रहा है. चुनाव में पैसे खर्च होने के कई माध्यम होते है. इनमें इलेक्शन कमीशन का खर्च, पार्टियों के अपने खर्च आदि शामिल होते है. देश में इस बार 96.8 करोड़ वोटर हैं जो लंबी चौड़ी दूरी पर रिमोट इलाके में भी रहते होंगे. हर जगह पोलिंग कराने में चुनाव कर्मियों के आने-जाने, रहने खाने का खर्च भी होता है. मतदान परिचय पत्र बनाने में भी खर्च होते है. वोटिंग में लगने वाले स्याही पर भी खर्च होते है. इलेक्शन कमीशन अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को हर रोज के हिसाब से पैसा देता है. अगर वह दूर जा रहे हैं तो वहां की ट्रंसपोर्टिंग , रुकने और खाने का खर्च इसमें शामिल है.
वोटरों की संख्या लगातार बढ़ रही , तो उम्मीदवार भी बढ़ रहे
वोटरों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, तो उम्मीदवार भी बढ़ रहे है. चुनाव में कितना खर्च होता है यह इस पर भी निर्भर करता है कि चुनावी प्रक्रिया कितनी लंबी है. वोटरों को जागरूक करने के लिए भी खर्च किए जाते है. कार्यक्रम चलाए जाते है. उन्हें वोट की कीमत समझाया जाता है. वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने के भी प्रयास होते है. भारत सरकार बनाने वाला यह चुनाव कई टुकड़ों में हो रहे है. ताकि व्यवस्था बनी रहे. इस दौरान चुनाव में ढेर सारे कर्मी अधिकारी लगे होते है. इनका काम देखना होता है कि चुनाव पारदर्शिता से हो और जनता जिसे चाहती है, वह चुनकर आये. यह सारी कवायत अच्छी खासी खर्चीली है और इसमें बड़ा हिस्सा हमारे आपके वोट का भी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो