रांची (TNP Desk) : लोकसभा चुनाव 2024 का विभिन्न दलों ने जनसभा के माध्यम से शंखनाद कर दिया है, लेकिन घोषणा होना अभी बांकी है. आगामी चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारियां भी करनी शुरू कर दी है. अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने 195 उम्मीदवारों लिस्ट जारी की, जिसमें झारखंड के 14 में से 11 सीट भी शामिल है. जारी लिस्ट में झारखंड के कई माननीयों का पत्ता कट गया वहीं कई पुराने चेहरों पर ही पार्टी ने दांव खेला है. इन्हीं लिस्ट में शामिल हैं पलामू से बीजेपी सांसद विष्णु दयाल राम, जिन्हें तीसरी बार पार्टी ने टिकट दिया है. आज हम उन्हीं के लेखा-जोखा की बात करेंगे, जिसमें जनता अपने सांसद के कार्य से कितने संतुष्ट हैं.
जानिए पलामू लोकसभा का सियासी समीकरण
सबसे पहले हम पलामू लोकसभा का राजनीतिक समीकरण जान लेते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें डालटनगंज, छतरपुर, हुसैनाबाद, विश्रामपुर, गढ़वा और भवनाथपुर शामिल हैं. इन छह विधानसभा सीटों में से चार पर बीजेपी का कब्जा है, जिसमें डालटनगंज, छतरपुर, विश्रामपुर और भवनाथपुर शामिल है. वहीं हुसैनाबाद सीट एनसीपी के पास है और झामुमो के खाते में गढ़वा है.
पलामू में सिंचाई और पेयजल सबसे बड़ी समस्या
पलामू लोकसभा क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई बड़ी समस्या है. जो इस बार के चुनाव में सबसे बड़ मुद्दा बनेगा. झारखंड के पूर्व डीजीपी और दो बार से सांसद रहे बीडी राम ने अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं कर पाये. यहां मंडल डैम निर्माण का मामला अब भी लटका हुआ है. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने इसका दोबारा शिलान्यास किया था, इसके बावजूद भी कोई काम नहीं हुआ. मंडल डैम का 10 गेट बनकर तैयार है. लेकिन दो गेट अभी भी नहीं बना है. सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण लोग रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर हैं. अगर डैम बन जाता तो सिंचाई की समस्या खत्म हो जाती. वहीं पलामू और गढ़वा के बड़े इलाके में जमीन के अंदर पानी में फ्लोराइड की मात्रा मिल रही है. जिसका व्यापक असर लोगों के स्वस्थ्य पर पड़ रहा है. अभी तक इसका भी समाधान नहीं निकाला जा सका है. पलामू में पानी का इतना संकट है कि हर साल कमोबेश सूखा क्षेत्र घोषित करना पड़ता है. पलामू का लगभग पूरा क्षेत्र पानी के घोर संकट से गुजर रहा है. इस चुनाव में पेयजल और सिंचाई का मुद्दा बड़ा होगा, क्योंकि सांसद बीडी राम इस क्षेत्र में कोई काम अभी तक नहीं कर पाए हैं. जबकि ये मुद्दा नया नहीं है बल्कि दशकों से है.
आज भी पलायन बनीं हैं समस्या
पलामू में पलायन भी सबसे बड़ी समस्या है. रोजगार का साधन नहीं होने के कारण लोग पलायन के लिए मजबूर हैं. सांसद बीडी राम ने पलायन रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक आगे नहीं बढ़ाया. इस क्षेत्र में रोजगार का कोई साधन नहीं है. एक कोयला खदान था जो काफी लंबे समय से बंद पड़ा है. राजहरा कोलयरी खुलवाने को लेकर कई दावे होते रहे हैं लेकिन हकीकत है कि आज भी राजहरा कोलयरी बंद पड़ा है. अगर यह चालू होती तो हजारों मजदूर को रोजगार का साधन मिल जाता और पलायन रूक जाती.
राजनाथ सिंह के एलान के बाद भी नहीं खुली सीमेंट फैक्ट्री
इसके अलावा अगर बात करें तो एक मात्र देवरी सीमेंट फैक्ट्री है, जो लंबे समय से बंद है. जब चुनाव हुआ था तब खुद राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि केंद्र की सत्ता में जब हम आ जाएंगे तो जपला सीमेंट फैक्ट्री के दिन बदल जाएंगे. फैक्ट्री को दोबारा से चालू कर दिया जाएगा, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही है. फैक्ट्री तो खुली नहीं बल्कि उसे कोर्ट ने नीलाम कर दिया. फैक्ट्री बंद होने का कारण मजदूरों का बकाया नहीं मिला. क्योंकि फैक्ट्री घाटे में चल रही थी. हर चुनाव में यह मुद्दा बना रहता था, लेकिन 2 साल पहले जब कोर्ट का आर्डर आया उसके बाद मजदूरों के सपने चकनाचूर हो गए. पलामू के मजदूर इस आस में बैठे थे कि फैक्ट्री जब फिर से चालू हो जाएगी तो इस इलाके के साथ-साथ हम लोगों के भी दिन बदल जाएंगे, लेकिन समस्या अभी भी जस की तस है.
पलामू स्टेशन की सूरत तो बदली, पर नहीं बदली ट्रेनों की संख्या
अगर बात रेलवे के क्षेत्र की करें तो यहां लगभग पलामू के सभी स्टेशनों की तस्वीर बदल गई है, लेकिन नहीं बदली तो उस रूट पर चलने वाली गाड़ियों की संख्या. जिसकी मांग को लेकर आए दिन विभिन्न मोर्चा के लोग आंदोलन करते हैं. यहां आबादी बढ़ती जा रही है, लेकिन ट्रेन की संख्या जस की तस बनी हुई है. इसके साथ ही जब कोरोना काल में लॉकडाउन हुआ तो कई ट्रेनों को बंद कर दिया गया था. लेकिन, जब दोबारा ट्रेन चालू हुई तो स्पेशल ट्रेन का दर्जा देकर किराए में बढ़ोतरी की गई. जिस जगह जाने के लिए ₹20 देना पड़ता था वहां जाने के लिए अब ₹50 कर दिया गया था. कोरोना कल तो खत्म हो गया, लेकिन ट्रेन की संख्या नहीं बढ़ने से लोग भेड़ बकरी की तरह सवार होते हैं. अफसोस की किराया अभी भी ₹50 ही देते हैं. कई बार लोगों ने संसद से लेकर रेल मंत्रालय और डीआरएम तक को इसकी सूचना दी, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. अभी भी लोग ₹50 किराए देने को मजबूर हैं.
10 साल के कार्यकाल से संतुष्ट हैं बीडी राम
वहीं पलामू सांसद बीडी राम अपने 10 साल के कार्यकाल से संतुष्ट हैं. उनका दावा है कि हमने पिछले 10 साल में पलामू और गढ़वा में चहुंमुखी विकास किया है. जनता की समस्याओं का निराकरण किया है. दोनों ही जिलों में बिजली, सिंचाई, पेयजल, सड़क, रोजगार आदि के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय काम किये हैं. पेयजल और सिंचाई की समस्या को खत्म किया है. गढ़वा में सोन-कनहर पाइपलाइन सिंचाई योजना को धरातल में उतारने का काम किया. इसका करीब 70 प्रतिशत काम हो चुका है. पलामू में सोन कोयल औरंगा पाइपलाइन सिंचाई योजना पर काम चल रहा है. इसके पूरा होते ही लोगों की समस्या खत्म हो जायेगी.
जानिए आम आवाम का क्या है कहना?
लोगों का मानना है कि जब से बीडी राम सांसद बने हैं तब से 10 वर्षों में काम तो हुआ है, लेकिन जो बुनियादी समस्या है उसपर काम अभी तक नहीं हुआ है. जैसे पलायन रोकना, लोगों को रोजगार मुहैया कराना, पेयजल का संकट को खत्म करना, सिंचाई की व्यवस्था, सड़क, बिजली की समस्या आदि पर काम नहीं हुआ है. जिस वादे के साथ बीडी राम सांसद उसमें वो पिछड़ गए.