रांची(RANCHI): राज्य में 1932 का मामला शुरू से उठता है,सभी सियासी दल स्थानीयता के मुद्दे को खूब जोर शोर से उठाती है.अगर बात झामुमो की करें तो इनके चुनावी घोषणा पत्र में यह साफ था की सरकार बनने के बाद इसे पास करेंगे. लेकिन अब 1932 का पेच राजभवन में फसता दिख रहा है. एक साल पहले सदन से इसे पारित कर राज्यपाल को भेजा लेकिन वापस इसे सरकार को लौटा दिया गया.राजभवन की ओर से बताया गया की इसमें कुछ त्रुटि है जिसे सुधार करने की जरूरत है. बावजूद अब फिर से बिना किसी संशोधन के राजभवन भेज दिया गया. इसे लेकर विपक्ष तो सवाल कर ही रहा था अब सत्ता पक्ष के विधायक भी सदन में बिना चर्चा किये विधेयक पास करने पर सवाल खड़ा कर दिया है.
सदन में शीतकालीन सत्र के चौथे दिन इसे पेश किया गया. जिसके बाद सदन में विपक्ष ने हंगामा किया सदन में इस विधेयक के पास होने से पहले चर्चा करने की मांग कर रही थी. लेकिन अब सत्ता पक्ष के विधायक भी इस मामले में अपनी ही सरकार पर युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने का आरोप लगाने लगे है. सदन के बाहर झामुमो विधायक लोबिन हेमब्रम ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ गेंद को इधर से उधर घुमाने में लगी है. सत्ता में आने से पहले हेमंत सोरेन खुद बड़े बड़े वायदे कर रही थी लेकिन सत्ता में आने के बाद रोजगार का मुद्दा दब गया. नौकरी से लेकर जमीन तक लूटी जा रही है.
वहीं नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि जब अर्जुन मुंडा की सरकार थी तो हेमंत सोरेन से इस मुद्दे पर सरकार को गिरा कर मुख्यमंत्री के कुर्सी पर बैठे उसके बाद 2019 में जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ इन्हे सत्ता में बैठाया की अब झारखंडी भावना को सरकार समझ कर विधेयक बनाएगी. लेकिन यह सरकार सिर्फ जुमला देना जानती है. जनता को दिग्भ्रमित कर चार साल बीतने को है और सरकार नौकरी के नाम पर लॉलीपॉप दे रही है. अब जनता ऐसे लोगों को जवाब देने का काम करेगी.