चाईबासा(CHAIBASA):झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम जिला का शहरी इलाका तो बहुत विकसित है, जहां आपको आधुनिकता से लैस स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है, लेकिन वहीं ग्रामीण इलाकों की बात करे, तो विश्वास करना मुश्किल हो जाता है, क्या सच में ये इसी जिले का हिस्सा है, यहां की सड़कों की स्थिति ऐसी है कि यहां मरीजों के सीरियस होने पर एंबुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाता है, जिसकी वजह से आज भी यहां मरीजों को खटिया के सहारे अस्पताल पहुंचाया जाता है, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.
मरीज को खटिया पर पहुंचाया गया
वहीं ताजा मामला चाईबासा जिले से सामने आया है.जहां सोनुआ प्रखण्ड के रेंगालबेड़ा गांव में पिछले तीन-चार दिनों से बीमार सुकुरमनी बोदरा नाम की महिला को अस्पताल ले जाने के लिये गांव तक कोई वाहन नहीं पहुंच पाया तो परिजनों ने उसे खटिया से ढोकर बारिश में भींगते हुए एक किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाया.वहां से फिर महिला को एंबुलेंस के जरीये अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका ईलाज चल रहा है.
सड़क की हालत इतनी जर्जर है की कोई वाहन यहां पहुंच नहीं पाता है
आपको बताये कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इन दिनों मरीजों के लिए खटिया ही एबुंलेस बन गया है. एक तरफ जहां राज्य सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाने में लगी , तो वहीं दुसरी ओर उन्ही के राज्य से ऐसी तस्वीर का सामने आना शर्मनाक है. यह गांव प्रखण्ड मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन मुख्य सड़क से गांव को जोड़ने वाली सड़क की हालत इतनी जर्जर है की कोई वाहन यहां पहुंच नहीं पाता है.
रिपोर्ट-संतोष वर्मा