गुमला(GUMLA): 22 जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरुआत होनेवाली है. इस पूरे महीने भक्त भोलेनाथ को जलार्पण करते है. वहीं इस महीने में शिवालयों में लोगों की भीड़ उमड़ती है. शिव मंदिर में भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते है. झारखंड में बहुत सारे तीर्थस्थल है, जो पूरे देश में प्रसिद्ध है, लेकिन वहीं कुछ धार्मिक स्थान ऐसे भी है, जो सरकार की अनदेखी की वजह से गुमनामी के अंधेरे में खो चुके हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थान गुमला के पालकोट प्रखंड में सुंदर प्राकृतिक वादियों के बीच मौजूद है.
गुमला का देवगांव पूरी तरह से गुमनामी के अंधेरे में खो चुका है
गुमला का देवगांव धार्मिक स्थल आज भी पूरी तरह से गुमनामी में है. पूरे सावन के दौरान लोग काफी दूरदराज से इस स्थल पर पूजा करने के लिए आते है, लेकिन दुर्भाग्य है कि इस स्थल का आज तक सही रूप से विकास नहीं हो पाया है. झारखंड के लिए यह एक सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि सरकारों ने केवल झारखंड की खनिज सम्पदा पर ही ध्यान दिया,जबकि झारखंड की भूमि पर कई सुंदर प्राकृतिक स्थलों के साथ ही कई आकर्षक धार्मिक ऐतिहासिक स्थल मौजूद है जो आज भी पूरी तरह से गुमनामी में है. जिसमें भगवान शिव का पूजा स्थल देवगांव भी शामिल है. ये स्थान गुमला जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर स्थित है. पालकोट प्रखंड में मुख्य सड़क से आठ किमी अंदर मौजूद इस स्थल की अपनी अलग ही आकर्षण है.
यदि सरकार ने ध्यान दिया होता तो इसकी तस्वीर कुछ और होती
आमतौर पर किसी धार्मिक स्थल की जब भी बात आती है तो हमारे मन मे एक मंदिर की कल्पना आती है, लेकिन देवगांव का अपना-अलग ही स्वरूप है. यहां देवी देवताओं का स्थान एक विशाल पर्वत के अंदर है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है. वहीं पूरे सावन में लोगो का विशेष आगमन होता है. इस इलाके में रहनेवाले लोगों का मानना है कि सालों भर लोग आकर यहां पूजा करते है,लेकिन उन्हें भी इस स्थान के सही रूप से विकास ना होने का दुख लगता है. इस स्थल की जानकारी मिलने के बाद जो लोग यहां आते है उन्हें यहां आकर काफी अच्छा लगता है. उन लोगों का कहना है कि यह ना केवल एक धर्मिक स्थल है, बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है. अगर इसका सही रुप से विकास किया जाय तो निश्चित रूप से काफी सख्या में लोगो का यहां आना होगा. इस गुफा के अंदर जिस तरह से देवी-देवताओं की मौजूदगी है. गुमला की इतनी खूबसूरत और ऐतिहासिक मान्यता रखने वाले स्थल का पर्यटन के मानचित्र पर नहीं स्थापित होना राज्य सरकार के पर्यटन को लेकर निराशा को दर्शाता है. यदि सरकार इन स्थलों का विकास करे तो ना केवल इन स्थलों को पहचान मिलेगी,बल्कि इसके माध्यम से इलाके के लोगों का भी आर्थिक विकास होगा.
रिपोर्ट-सुशील कुमार