धनबाद(DHANBAD): जरा महसूस कीजिए, आपके बच्चे स्कूल में रिजल्ट लेने गए हो, साथ में अभिभावक भी हैं और बच्चों को फीस डिफॉल्टर कह कर संबोधित किया जाए , तो आप कैसा महसूस करेंगे. जबकि बच्चे डिफॉल्टर हो ही नही. ऐसा ही हुआ है धनबाद के कोयला नगर डीएवी में इसके बाद तो हंगामा मच गया. आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. स्कूल प्रबंधन कहता है कि किसी का रिजल्ट नहीं रोका गया है. अभिभावक कहते हैं कि कोरो ना काल की फीस के लिए बच्चों का रिजल्ट रोक दिया गया है. 25 जून 2020 को सरकार के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि स्कूल बंद रहने की अवधि तक किसी प्रकार की वार्षिक शुल्क, यातायात शुल्क या अन्य किसी प्रकार का शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जाएगा. लेकिन कोयला नगर डीएवी में बकाया फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है. यह बकाया उस वक्त का बताया जा रहा है जब बीमारी पिक पर थी. यह विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकल रहा है.
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अभिभावक गलत आरोप लगा रहे हैं. किसी भी बच्चे का रिजल्ट नहीं रोका गया है, तो सवाल उठता है कि अभिभावक हंगामा क्यों कर रहे हैं. हंगामा कर रिजल्ट क्यों मांग रहे हैं. सोमवार को स्कूल परिसर में हंगामा का दृश्य उत्पन्न हो गया था. बीमारी काल की तमाम तरह की बकाया फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन और अभिभावक आमने-सामने थे. अभिभावकों ने फीस बकाया के नाम पर रिजल्ट नहीं देने का आरोप लगा रहे थे. उनका यह भी कहना था कि स्कूल के शिक्षक और कर्मियों ने उनके साथ गलत व्यवहार किया है.
सवाल उठता है कि सरकार का आदेश अगर स्पष्ट है तो फिर स्कूल प्रबंधन उसे मान क्यों नहीं रहे हैं. क्या शिक्षा विभाग अथवा जिला प्रशासन से भी ऊपर उठकर स्कूल प्रबंधन मनमानी कर रहे हैं. ऐसे में आखिर अभिभावकों के पास रास्ता क्या बचा है. यह बात अलग है कि बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक समझौता कर लेते हैं. और पेट काटकर भी स्कूल वालों की डिमांड को पूरी करते हैं. स्कूल वाले इसका नाजायज फायदा उठाते हैं. अभिभावकों पर अगर कायदे कानून लागू है तो स्कूल पर भी लागू होना चाहिए. अभिभावकों का सीधा आरोप होता है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों की पढ़ाई के नाम पर उन्हें दोनों हाथों से लूटते हैं. अभिभावक करें भी तो क्या करें बच्चों को पढ़ाना उनकी मजबूरी है और इसी का लाभ स्कूल प्रबंधन उठाता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो