धनबाद(DHANBAD): बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन बना रहा तो झारखंड के विधानसभा चुनाव में सीटों पर जदयू दावा कर सकता है. इसके संकेत मिलने लगे है. मतलब साफ है कि भाजपा, जदयू और आजसू मिलकर चुनाव लड़ेंगे. 2019 में तो भाजपा -आजसू का गठबंधन टूट गया था, लेकिन 2024 में गठबंधन के आसार बने हुए है. अगर थोड़ा पीछे के पन्नों पर नजर डाला जाए तो 2014 में भारतीय जनता पार्टी झारखंड में 72 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें 37 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी जीते थे. आजसू ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी. 2014 में झामुमो 79 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था. 19 सीटों पर उसे जीत मिली थी.
बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा 73 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. 8 प्रत्याशी जीत पाए थे. बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से 2014 में चुनाव जीते नवीन जायसवाल, रणधीर सिंह, अमर बाउरी , जानकी यादव, गणेश गंजू, आलोक चौरसिया भाजपा में चले गए और 2014 में भाजपा की सरकार बन गई. लेकिन 5 साल बाद 2019 में राजनीतिक हालात बिलकुल बदल गए. आजसू और भाजपा का गठबंधन टूट गया और भाजपा 25 सीटों पर सिमट गई. जबकि आजसू को केवल दो सीट पर संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में झामुमो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा. झामुमो को 30 विधायक मिले, कांग्रेस को 16 विधायक मिले. आजसू के दो विधायक जीते. जेबीएम को भी तीन सीट मिली. इसके अलावा सीपीआई (माले ) को एक , एनसीपी और आरजेडी को एक -एक और निर्दलीय दो उम्मीदवार जीते. गठबंधन की सरकार बन गई और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनेर गए. 2019 के चुनाव के बाद भी राजनीतिक घटनाक्रम बदला.
झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी भाजपा में चले आए हैं और फिलहाल वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष है. तो बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में चले गए. बंधु तिर्की को न्यायालय से सजा होने के कारण उनकी विधायकी चली गई. प्रदीप यादव गोड्डा से 2024 के लोकसभा के उम्मीदवार थे, लेकिन उन्हें हार मिली. 2024 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो गई है. बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन है. जदयू इस बार झारखंड में भी सीट मांगने की तैयारी में है. इसके लिए बैठकों का दौर चल रहा है. निर्णय लिया गया है कि जिन विधानसभा क्षेत्र में जदयू के 15000 सदस्य होंगे, वहां से जदयू उम्मीदवार उतार सकता है. इधर, झारखंड में आजसू - भाजपा का गठबंधन भी रहेगा. मतलब भाजपा 2024 के विधानसभा चुनाव में कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसका प्रयास होगा कि 2024 में वह सत्ता में फिर वापस आए, जबकि गठबंधन की कोशिश होगी कि वह सत्ता में कंटिन्यू करे. झारखण्ड की लोक सभा सीटों पर मिली सफलता से सभी गदगद है.
वैसे तो झारखंड में हेमंत सोरेन को जेल भेजने का गुस्सा आदिवासियों में खुलकर दिखा. पांच आदिवासी सीटों पर भाजपा का सुपड़ा साफ़ हो गया. कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक चुनाव हार गए. दुमका लोकसभा सीट से झामुमो के नलिन सोरेन 22,527 मतों से जीत गए है. यहाँ भाजपा का कार्ड फेल कर गया. तो सिंघभूम से झामुमो की जोबा मांझी 1,68, 402 वोटो से जीत दर्ज की है. राजमहल से झामुमो के विजय हांसदा 1,78, 264 वोट से जीत दर्ज की है. लोहरदगा से कांग्रेस के सुखदेव भगत 1,39, 138 वोट से जीते है. खूंटी से कालीचरण मुंडा 1,49,675 वोट से जीते है. इस प्रकार झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से पांच पर इंडिया ब्लॉक को सफलता मिली है. तीन सीटों पर झामुमो का परचम लहराया है तो दो सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते है. एनडीए को कुल नौ सीटें मिली है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो