धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में गंगा किनारे का साहिबगंज जिला. यहां हुए 1000 करोड़ के अवैध खनन की जांच चल रही है. ईडी लगातार अधिकारियों से कर रही है पूछताछ. 6 फरवरी को साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव से ईडी की टीम ने रांची में 7 घंटे पूछताछ की. इसके पहले भी 23 जनवरी को ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की थी. ईडी के अधिकारियों के प्रश्नों का जवाब देने में अब साहिबगंज के अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं. इधर साहिबगंज में अवैध खनन पर शिकंजा कसते ही राजस्व में भारी उछाल आ गया है. वित्तीय वर्ष समाप्ति के पहले ही यह जिला लक्ष्य पूरा कर लिया है. लक्ष्य को पूरा ही नहीं किया है बल्कि 2 महीना पहले ही 6 करोड़ से अधिक की वसूली हो गई है.
पहली बार हुआ ऐसा
लोग बताते हैं कि जिला खनन विभाग ने शायद इतिहास में पहली बार यह उपलब्धि हासिल की है. वित्तीय वर्ष 22-23 में खनन कार्यालय को 147 कोड रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य था. चालू वित्तीय वर्ष में विभाग ने 153 करोड की वसूली की है. वित्तीय वर्ष 21-22 और उसके पहले खनन विभाग का टारगेट पूरा नहीं हुआ था. विभागीय रिकार्ड के अनुसार वित्तीय वर्ष 21-22 में 115 करोड़ के राजस्व वसूली का लक्ष्य था. विभाग 110 करोड़ ही वसूल पाया था. आंकड़े पर गौर करें तो पता चलेगा कि लक्ष्य नहीं हासिल करने के पीछे क्या वजह हो सकती है.
एक दूसरे पर हो रही आरोपों की फेका-फेकी
ईडी ने जब जांच शुरू की है तो अधिकारी फेका-फेकी कर रहे हैं. ईडी अधिकारियों के सामने उपायुक्त ने ईस्टी मर दुर्घटना के मामले में दाहू यादव को अभियुक्त नहीं बनाने का आरोप एसपी पर लगा दिया. हालांकि जब उनसे पंकज मिश्रा से ढाई सौ बार फोन पर हुई बातचीत से जुड़े सवाल पूछे गए तो उलझ गए. देखना है कि जांच आगे कहां तक जाती है और कौन-कौन से अधिकारी, राजनेता या दबंग लोग जांच की चपेट में आते हैं. लेकिन यह बात तो तय है कि साहिबगंज में पहले सब कुछ ठीक-ठाक नहीं था. अगर ठीक-ठाक होता तो राजस्व का लक्ष्य विभाग वित्तीय वर्ष समाप्ति के पहले ही इस साल क्यों पूरा कर लेता. निश्चित रूप से जांच का ही प्रतिफल है कि लक्ष्य हासिल हुआ है. हालांकि जिले में अवैध उत्खनन रुक गया है इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता. वैसे जांच को लेकर झारखंड में राजनीतिक तपिश बड़ी हुई है. धनबाद भी अवैध उत्खनन को लेकर काफी चर्चा में है. अवैध उत्खनन में वर्चस्व की जंग को लेकर रोज बम बाजी हो रही है, लोगों की जाने जा रही है. सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल को भारी क्षति हो रही है.अवैध उत्खनन से लेकर ट्रांसपोर्टिंग तक में दबंगों का कब्जा है. फर्जी पेपर बनाकर कोयलांचल से कोयला बिहार, यूपी के मंडियों में भेजा जा रहा है. रंगदारी वसूली का खेल चल रहा है. फिर से कोयला चोरी के खिलाफ स्पेशल ड्राइव चलाने का निर्णय हुआ है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद