धनबाद(DHANBAD): मडुआ की कभी गिनती मोटे अनाज में की जाती थी. लोग इसे पसंद नहीं करते थे. लेकिन पौष्टिकता के लिए मडुआ अब प्रचलित हो गया है. इस मडुवे के लड्डू खिलाने में स्कूल के शिक्षक परेशान हैं. पौष्टिकता को देखते हुए सरकार ने हर बुधवार को बच्चों को लड्डू खिलाने का निर्देश दिया है. बुधवार को अवकाश रहने पर अगले कार्य दिवस को यह खिलाया जाएगा. सरकार ने मड़ुआ की अनुमानित कीमत ₹40 प्रति किलो तय की है. जबकि धनबाद के बाजार में यह 70 से लेकर 110 रुपए प्रति किलो के दर से बिक रहा है. मडुआ के साथ गुड भी शिक्षकों को खरीदना पड़ता है.
शिक्षकों का कहना है कि मडुआ का लड्डू खिलाना स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन बाजार भाव के हिसाब से सरकार को कीमत तय करनी चाहिए. शिक्षकों का कहना है कि राशि ₹40 प्रति किलो तय की गई है जबकि बाजार में इसकी कीमत अधिक है .सरकार या तो मडुआ की कीमत बढ़ाए या मडुआ का आटा भी सरकार खुद स्कूलों को उपलब्ध कराए. निर्णय के मुताबिक हर बच्चे को 50 ग्राम देना है और इसके लिए प्रति छात्र 4.15 रुपए दिए जा रहे हैं.
129000 बच्चों के लिए 42.99 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान
वैसे एक आंकड़े के मुताबिक पूरे राज्य में 29 लाख बच्चों को मध्यान भोजन दिया जा रहा है. सिर्फ हलवे पर 9.72 करोड रुपए खर्च होंगे. धनबाद जिले में 129000 बच्चों के लिए 42.99 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है .जो भी हो लेकिन मध्यान भोजन के लिए सरकार ने जो नियम और निर्देश तय किया है, बाजार में उस दर पर अगर उपलब्ध नहीं होगा तो फिर इस योजना में कहीं ना कहीं कटौती होगी. जिसे सरकार की योजना कारगर साबित नहीं हो सकती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो