दुमका(DUMKA): झारखंड की उपराजधानी दुमका में भीषण गर्मी में एक तरफ जहां जनजीवन अस्त व्यस्त है वहीं पेयजल संकट ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी है. आलम यह है कि चिलचिलाती धूप की परवाह किए बगैर ग्रामीण पेयजल संकट के समाधान की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रहे है. बहुत कुछ ऐसा ही नजारा दुमका के कठिजोरिया में देखने को मिला जब गांव की महिलाएं पानी की मांग को लेकर सड़क पर उतर गई और बर्तन के साथ रविवार को घंटों दुमका - रामपुरहाट मुख्य मार्ग को जाम रखा. उनकी एक ही मांग थी कि जब तक पानी नहीं मिलेगा, तब तक जाम समाप्त नहीं होगा. सड़क जाम की सूचना पर सदर बीडीओ और मुफ़स्सिल थाना प्रभारी मौके पर पहुचे. ग्रामीणों को समझाने का हर संभव प्रयास किया लेकिन ग्रामीण मानने के लिए तैयार नहीं हुए. अंत में बीडीओ ने मिस्त्री बुलाकर एक चापाकल ठीक कराया, लेकिन उससे भी पानी ना के बराबर निकला. बीडीओ ने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होता है, तब तक प्रतिदिन पानी का एक टैंकर गांव में आएगा. इसके बाद लोगों की नाराजगी समाप्त हुई.
500 की आबादी में मात्र दो चापाकाल, कैसे बुझेगी प्यास
ग्रामीणों की मानें तो गांव की आबादी पांच सौ से अधिक है. इतने लोगों की प्यास बुझाने के लिए वर्षों पूर्व दो चापाकल लगाए गए. एक चापाकल किसी तरह से काम कर रहा है, लेकिन दूसरे को करीब 20 मिनट चलाने के बाद एक ही बाल्टी पानी मिलता है. पानी भी इतना गंदा है कि पीने से डर लगता है. दूसरा चापाकल काफी दूरी पर है और उस पर हर समय भीड़ लगी रहती है. पेयजल संकट के समाधान के लिए गांव में सोलर आधारित जलमीनार बनाया गया, संवेदक ने सोलर से चलने वाली जलमीनार तो चालू की, लेकिन उसे धूप की बजाय पेड़ के नीचे बना दिया. धूप नहीं मिलने की वजह से सोलर प्लेट चार्ज नहीं होती है और दो साल से एक बूंद पानी नहीं मिला.
सदर बीडीओ व मुफस्सिल थाना प्रभारी के समझाने बुझाने के बाद हटा जाम
जाम की खबर सुनकर सदर बीडीओ उमेश मंडल व मुफस्सिल थाना प्रभारी नीतीश कुमार मौके पर पहुंचे और लोगों से बात की. जाम से वाहन चालकों को हो रही परेशानी का हवाला दिया. इसके बाद भी लोग हटने के लिए तैयार नहीं हुए. उनका कहना था कि अभी पानी चाहिए. कई बार शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ. अब तभी हटेंगे, जब पानी मिलेगा. लोगों को समझाने में दोनों पदाधिकारी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
रिपोर्ट: पंचम झा