धनबाद (DHANBAD) : झारखंड के वित्त मंत्री चाहे कितना भी दावा कर ले कि किसी काम के लिए सरकार के समक्ष कोई आर्थिक संकट नहीं है. लेकिन असलियत इसके इतर है. झारखंड सरकार के सामने आर्थिक संकट है, कई विकास कार्य रुके हुए है. केंद्र से झारखंड को अपेक्षित राशि नहीं मिल रही है. 136 लाख करोड़ की मांग पुरानी जरूर है, लेकिन समय-समय पर यह उठती रही है. यह भी सच है कि अगर 31 मार्च के पहले झारखंड के निकाय चुनाव नहीं कराए गए, तो 2000 करोड़ से अधिक राशि केंद्र से झारखंड को नहीं मिलेंगे. यह राशि तीन वित्तीय वर्ष की हो जाएगी.
सरकार की अपने स्रोत से होने वाली आय में भी कमी आई है
अंदरखाने की खबर के अनुसार सरकार के पास जरूरी काम के पैसे नहीं है. सरकार की अपने स्रोत से होने वाली आय में भी कमी आई है. केंद्र सरकार से मिलने वाली कर राशि में भी कमी की बात कही जा रही है. अगर सूत्रों पर भरोसा करें, तो राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में खुद के स्रोत से 1,43,000 करोड रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन चालू वित्तीय वर्ष के 6 महीने में केवल लगभग 40 % तक ही संग्रह किया जा सका है. इस वजह से भी सरकार की आमदनी में कमी हुई है. केंद्र सरकार से अनुदान के रूप में 17, 000 करोड रुपए मिलने थे.
केंद्र से भी राशि कम मिल रही, मंईया सम्मान योजना में बड़ी राशि जा रही
सूत्रों के अनुसार केंद्र के अनुदान की राशि बहुत कम ही मिली है. यहां यह बताना जरूरी है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मंईया सम्मान योजनाको लांच कर सरकार में रिपीट किया. हेमंत सोरेन ने चुनाव के पहले₹1000 देने की शुरुआत की. लेकिन कहा था कि चुनाव जीतने के बाद यह राशि ढाई हजार रुपए कर दी जाएगी. सरकार बनने के बाद इसे लागू भी कर दिया गया और राज्य सरकार का भारी भरकम रकम इस योजना में देने का प्रावधान किया गया . दरअसल, मंईया सम्मान योजना के तहत एवरेज 60 लाख महिलाओं को प्रति महीना ढाई हजार रुपए दिए जा रहे है. इसके लिए लगभग 18000 करोड रुपए सालाना की जरूरत है. राज्य सरकार का बजट लगभग 150 हज़ार करोड रुपए का है. ऐसे में 18,000 करोड रुपए एक योजना में महिलाओं को नगद दिए जा रहे है.
झारखंड सरकार कई योजनाओं में भी राशि दे रही है, इसका भी असर है
इसके अलावा भी कई योजनाएं हैं, जिनमे अलग-अलग समूहों को नगद मदद दी जा रही है. दो सौ यूनिट बिजली फ्री भी उपभोक्ताओं को दी जा रही है. स्थिति ऐसी हो गई है कि झारखंड सरकार के पास बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च करने के लिए पैसे की किल्लत की, सूत्र दावा कर रहे है. सभी विभागों के पैसे मंईया सम्मान योजना में भेजे जा रहे है. बचे हुए पैसे से स्थापना का काम हो रहा है या वेतन, पेंशन और कार्यालय चलाने में खर्च हो रहा है. मंईया सम्मान योजना की राशि भी इर्रेगुलर है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है. यह देखने वाली बात होगी कि इस महा संकट से उबरने के लिए झारखंड सरकार क्या कदम उठाती है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
