गुमला(GUMLA) : गुमला जिले में जंगल और पेड़ों को बचाने के लिए एक विशेष रूप से पहल की जा रही है. इस अभियान में वन विभाग के साथ ही सामान्य लोगों की भागीदारी भी काफी बेहतर तरीके से देखने को मिल रही है. डीएफओ ने भी बताया कि इस तरह की पहल से ही लोगों को जंगल से जोड़कर पेड़ों को बचाने के अभियान को सफल बनाया जा सकता है. वहीं, मौसम में जिस तरह से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, उससे निश्चित रूप से लोगों को यह एहसास होने लगा है कि पेड़ों की संख्या कम होने के कारण ही इस तरह का माहौल बन रहा है. ऐसे में वन विभाग की ओर से लगातार पेड़ों को लगाने व आम लोगों को पेड़ों से जोड़ने और उनके संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए भी कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. लेकिन वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका पूरा जीवन पेड़ पौधों के बीच में ही बीत रहा है. ऐसे लोग पेड़ों के संरक्षण को लेकर सामने आ रहे हैं.
गुमला शहर में रोड के किनारे लगाया गया है प्रदर्शनी
इसी में से एक है सत्यनारायण से जो पूरी तरह से पेड़ पौधों के बीच में अपने जीवन को बिता रहे हैं उनके जीवन का लक्ष्य ही पेड़ पौधों से कई तरह की जड़ी बूटी को निकाल कर लोगों को होने वाली बीमारियों का इलाज करना है. इसी के निमित्त वह लोगों को पेड़ों की अहमियत और उनके अंदर औषधि गुण की जानकारी देने के लिए एक प्रदर्शनी गुमला शहर में रोड के किनारे लगाए हैं. जहां पर 200 से अधिक पौधों को रखकर उनके फायदे के बारे में बता रहे हैं. डीएफओ अहमद बेलाल अनवर भी मानते है कि इस तरह की पहल से जंगल को बचाया जा सकता है क्योंकि जब लोगो को पेड़ पौधों के गुणों की जानकारी मिलेगी तो उनसे ग्रामीणों का लगाव बनेगा.
पहले के समय में पेड़ पोधों से किया जाता था कई बीमारियों का इलाज
वहीं, गुमला शहर के बीच सड़क के किनारे लगे इस प्रदर्शनी को देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. प्रदर्शनी में आए लोगों को सत्यनारायण सिंह द्वारा काफी बेहतर तरीके से पेड़ पौधों के गुणों को बताया जा रहा है. जिसके बाद लोगों में भी पेड़ पौधों के प्रति रुचि बढ़ती हुई नजर आ रही है. बता दें कि पुराने समय में लोगों को पेड़ पौधों से इसलिए लगाव होता था क्योंकि उन्हें पेड़ पौधों के गुणों और फ़ायदों के बारे में जानकारी थी और उस समय कई बीमारियों का इलाज भी इन पेड़ पौधों के माध्यम से हो जाता था. लेकिन आज के समय में लोगों को पेड़ पौधों की जानकारी नहीं होने के कारण उनका पेड़ पौधों से लगाव नहीं है. ऐसे में सत्यनारायण सिंह की ओर से की जा रही पहल निश्चित रूप से लोगों को जंगल से जोड़ेगी और शायद जंगल को बचाने के लिए भी लोग अब खुलकर सामने आएंगे. ऐसे में स्पष्ट कहा जा सकता है कि इस तरह की पहल की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम होगी.
रिपोर्ट : सुशील कुमार सिंह