जमशेदपुर (JAMSHEDPUR): जमशेदपुर और मेदिनीनगर में GST चोरी के खुलासे के बाद राज्य सरकार के वाणिज्यकर विभाग पर सवाल उठने लगे हैं. केंद्रीय एजेंसी द्वारा बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी पकड़ने के बाद अब यह पूछा जा रहा है कि राज्य की निगरानी एजेंसियां क्या कर रही थीं. लगातार छापेमारी में करोड़ों रुपये की GST चोरी सामने आ रही है, जबकि वाणिज्यकर विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं मिली. इसी वजह से पलामू, जमशेदपुर, रांची और धनबाद प्रमंडल में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लग गया है.
सूत्रों की मानें तो विभाग अब निष्क्रिय अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकता है. वाणिज्यकर सचिव स्तर से जांच और कड़ी कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं.
पिछले दिनों डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस (DGGI) की जमशेदपुर यूनिट ने करोड़ों रुपये के टैक्स फ्रॉड का पर्दाफाश किया. पटना जोनल यूनिट के निर्देश पर निर्देशक सार्थक सक्सेना के नेतृत्व में छापेमारी की गई. फर्जी बिलिंग और बिना GST भुगतान के बड़े लेनदेन के मामले में लोहा कारोबारी प्रमोद कुमार अग्रवाल के डालटेनगंज और जमशेदपुर स्थित ठिकानों पर तीन दिन तक कार्रवाई चली. इस दौरान टीम को बड़े पैमाने पर वित्तीय दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड मिले.
जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जमशेदपुर लाया गया. साकची स्थित DGGI कार्यालय में लंबी पूछताछ के बाद उसका बयान दर्ज किया गया. मेडिकल जांच के बाद उसे आर्थिक अपराध अदालत में पेश किया गया. DGGI अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी का बड़ा नेटवर्क सामने आया है और जांच अभी जारी है.
सरकार की आर्थिक स्थिति भी कारण
राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने की वजह से भी वाणिज्यकर अधिकारियों पर दबाव बढ़ा है. टैक्स चोरी रोकने के लिए विभाग को सक्रिय कदम उठाने के संकेत मिल रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2025-26 की आखिरी तिमाही में सरकार के खर्च बढ़ेंगे और यदि केंद्रीय योजनाओं में मैचिंग ग्रांट समय पर नहीं दी गई तो केंद्र से मिलने वाली राशि में कटौती हो सकती है. ऐसे में विभाग पर राजस्व बढ़ाने की जिम्मेदारी और बढ़ गई है.
