धनबाद(DHANBAD): धनबाद में कम से कम 15 दिन तो हो ही गए. इन 15 दिनों में बारिश भी हुई. सड़कों पर पानी भी भरा. सड़क, बाजार में फैले कचड़े भींगे. उनसे दुर्गंध निकल रही है. डेंगू जैसी बीमारी का खतरा है. महामारी का भी खतरा हो सकता है. शहर में ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव की बात कौन करे ,कचड़ा डंपिंग स्थल विवाद को लेकर कचड़ा ही नहीं उठ रहा है. धनबाद शहर से प्रतिदिन 3 से 4 सौ टन कचड़ा उठना है. यह कचड़ा केवल निगम क्षेत्र से उठता है. निगम के बाहर के क्षेत्र इसमें शामिल नहीं है. फिर भी कचड़ा उठ नहीं रहा है. कचड़ा डंपिंग के लिए जहां-जहां स्थान चिन्हित किये जा रहे है , लोग विरोध कर रहे है. उनका कहना है कि डंपिंग के बाद इलाके में दुर्गंध के कारण उनका रहना मुश्किल हो जाएगा. यहां तक कि पुलिस के साथ गई गाड़ियों को भी लोग लौटा दे रहे है.
स्थाई समाधान के बिना सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकती
सवाल उठता है कि जब तक इसका कोई स्थाई समाधान नहीं होता , सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकती है. जानकारी के अनुसार बीसीसीएल और जिला प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराये गए चार जगह पर इन 15 दिनों में कचड़ा डंपिंग की कोशिश की गई लेकिन हर जगह विरोध हुआ. फिलहाल शहर की मुख्य सड़कों को छोड़कर बाकी जगह से कचरा का उठाव नहीं हो रहा है. हजारों -हजार टन कचड़ा जहां तहा पड़ा है, घरों से कचड़ा का उठाव नहीं हो रहा है. कब तक यह व्यवस्था नियमित होगी, होगी भी कि नहीं,इसको लेकर संशय बना हुआ है. 2010 से लेकर अभी तक निगम के पास कचड़ा डंपिंग की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं बनी है.
15 दिनों से भी अधिक समय से विवाद
15 दिनों से भी अधिक समय से विवाद चल रहा है फिर भी यह विवाद खत्म नहीं हो रहा है. मामला सीधे जनता से जुड़ा हुआ है, फिर भी विवाद खत्म कर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की ईमानदार कोशिश नहीं हो रही है. जनप्रतिनिधि भी अपने को इस समस्या से मुक्त नहीं कर सकते. क्योंकि जनता के वोट से ही जीत कर विधानसभा और लोकसभा में पहुंचते है. ऐसे में धनबाद के 6 विधायक और एक सांसद, गिरिडीह को मिला दिया जाए तो दो सांसदो के लिए भी यह समस्या चुनौती बनी हुई है. भगवान् न करे कि कोई महामारी फैले. लेकिन अगर फ़ैल गई तो लोगों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा. जरूरत है की बीमारी फैलने के पहले ही रोकथाम के लिए ईमानदार प्रयास किये जाये.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो