धनबाद (DHANBAD) : एक पखवाड़े में 19 जान लेने के बाद भी आग कोयलांचल में शांत नहीं हो रही है. कहीं ना कहीं अगलगी की घटनाएं हो जा रही है. अगलगी की घटनाओं ने तमाम व्यवस्थाओं को नंगा कर दिया है. जिन विभागों पर फायर ऑडिट की जिम्मेवारी दी गई है, उनमें से कई ऐसे विभाग हैं. जिनके पास मुख्यालय में आग बुझाने के उपकरण नहीं है. यह व्यवस्था का मखौल नहीं तो और क्या है. बात यही खत्म नहीं हो जाती, लोग भी सचेत नहीं है. सोमवार की देर शाम बैंक मोड़ के सेंटर पॉइंट मॉल में आग लग गई. गनीमत रही कि आग मॉल के बंद होने के बाद नहीं लगी, अन्यथा बड़ा हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है. आग लगते ही अफरा तफरी मच गई. भागम भाग शुरू हो गई लेकिन मॉल के कर्मचारी सहित अन्य लोगों ने हिम्मत दिखाई और आग पर काबू पा लिया. आग की सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां दौड़ी-दौड़ी घटनास्थल पर पहुंची. बैंक मोड़ पुलिस पहुंच कर कमान संभाल लिया. नतीजा हुआ कि आग को नियंत्रित कर लिया गया.
कचरे ने पकड़ी आग
पता चलता है कि कचरे को इकट्ठा कर रखा गया था, जहां से आग भड़की. फिलहाल कोयलांचल की जो स्थिति है कि आग का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कहीं ना कहीं से आग लगी की सूचनाएं मिलती रहती है. जंगलों में आग लग जा रही है. रिहायशी इलाकों में भी जो खाली जमीन है. वहां के कचरे में भी आग पकड़ ले रही है. यह आग कैसे लग रही है, क्या कोई मनचलों की करतूत तो नहीं है, इसका भी पता लगाना जरूरी है. क्योंकि आग लगने की खबर से ही लोग इतने डर जाते हैं कि होश हवास खोने लगते हैं. इधर, धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में फायर ब्रिगेड का कार्यालय है. फायर ब्रिगेड के संप में 3 लाख लीटर पानी स्टोरेज की क्षमता है. पानी खत्म होने के बाद दमकल यहीं आकर पानी लेते हैं. वक्त अधिक लगता है. इधर, निगम ने यह निर्णय लिया है कि अगर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को पानी की जरूरत है तो वह बेकारबांध तालाब से पानी ले सकते हैं. यह तो राहत की बात है.
कागजी प्रस्ताव 10 साल के बाद भी धरातल पर नहीं पहुंचा
इस पर भी अमल होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य यहां भी देखिए कि 10 साल पहले धनबाद के बैंक मोड में फायर ब्रिगेड के लिए सप बनाने का प्रस्ताव आया था. लेकिन यह प्रस्ताव कागज की शोभा बढ़ा रहा है. जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है. यानी कोयलांचल में योजनाएं तो बनती हैं लेकिन उन्हें क्रियान्वित नहीं किया जाता है. इसके एक नहीं, सैकड़ों उदाहरण सामने है. मुख्य वजह यह है कि योजनाओं का फॉलोअप नहीं किया जाता है. अधिकारी बदल जाते हैं, उसके बाद उन योजनाओं को जहां-तहां छोड़ दिया जाता है .अगर कोयलांचल के प्रमुख समस्याओं की सूची बनाकर उनके फॉलोअप के लिए अगर सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक दल के नेताओं की एक टीम बने, जो योजनाओं का फॉलो अप करती रहे तो संभव है कि बहुत सारी परेशानियां खत्म हो सकती हैं. कोयलांचल में पैसे की कमी नहीं है. डीएमएफटी फंड में पैसा पड़ा हुआ है. जरूरत है योजनाओं को पूरा करने के लिए ईमानदार प्रयास का. जब तक प्रयास इमानदारी से नहीं किया जाएगा,नतीजा बहुत उत्साहवर्धक नहीं निकलेगा.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद