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दुमका: आर्मी ऑफिसर बन कर साइबर अपराधी ने डीटीओ को किया कॉल, उसके बाद जो हुआ...

दुमका: आर्मी ऑफिसर बन कर साइबर अपराधी ने डीटीओ को किया कॉल, उसके बाद जो हुआ...

दुमका(DUMKA): साइबर अपराध की जननी जामताड़ा जिला को कहा जाता है. वर्तमान समय में साइबर अपराध पर अंकुश लगाना पुलिस प्रशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. हाल के दिनों में पुलिस द्वारा साइबर अपराध के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. काफी संख्या में साइबर अपराधी पुलिस गिरफ्त में आ रहे हैं. पुलिस प्रशासन द्वारा लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक भी किया जा रहा है. इसके बावजूद साइबर अपराधी कब किसकी जमा पूंजी में सेंधमारी कर दे किसी को पता नहीं.

अंजान नंबर से आया कॉल, खुद को बताया आर्मी ऑफिसर

सावधानी ही आपको साइबर अपराधियों के चंगुल में जाने से बचा सकता है. ऐसा ही एक मामला झारखंड की उप राजधानी दुमका से आया है. सजगता की वजह से जिला परिवहन विभाग के अधिकारी, कमी और बस मालिक साइबर अपराधियों के गिरफ्त में जाने से बच गए. दरअसल जिला परिवहन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार को अंजान मोबाइल नंबर से एक कॉल आया. ट्रूकॉलर में कैप्टन भौरा सिंह लिखा हुआ आया. कॉल करने वाले ने अपने आप को आर्मी का अधिकारी बताया और जिला परिवहन पदाधिकारी से अनुरोध किया कि आर्मी के 40 जवानों को अति आवश्यक बैठक में भाग लेने रांची भेजना है. इसके लिए एक बस की व्यवस्था कर देते. कॉल करने वाले को डीटीओ ने बताया कि बस की व्यवस्था तो नहीं की जा सकती लेकिन बस मालिक का नंबर उपलब्ध कराया जा सकता है और इसके लिए उन्होंने अपने अधीनस्थ एक कमी का मोबाइल नंबर उन्हें देकर बात करने को कहा.

क्यू आर कोड भेज ₹1 की मांग करने पर कर्मी को हुआ शक

 अंजान नंबर से कॉल करने वाले व्यक्ति ने कर्मी से बात की और कहा कि बस की व्यवस्था करवा दे जो भी किराया लगेगा वह दे दिया जाएगा. इसके बदले में उन्होंने क्यू आर कोड भेजा और कहा कि क्यू आर कोड पर ₹1 भेज दें ताकि बस का पूरी किराया भेजा जा सके. इस बीच कर्मी द्वारा एक बस मालिक को भी यह बता दिया गया की आर्मी के 40 जवानों को लेकर रांची जाना है और उसके लिए अधिकारी संपर्क करेंगे. अंजान नंबर से कॉल करने वाले व्यक्ति ने बस मालिक से भी बात की और बताया की सभी जवान दिग्घी स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के पास इंतजार कर रहे हैं.

जब बस पहुंचा यूनिवर्सिटी के पास तो नहीं था कोई आर्मी का जवान और अधिकारी

 इस मामले को लेकर डीटीओ ने बताया कि कर्मी को शक हुआ कि कहीं यह साइबर अपराधी तो नहीं? बस मालिक भी ₹1 भेजने के बजाय कहा कि वह बस सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के पास भेज रहा है. बस चालक जब बस लेकर वहां पहुंचा तो वहां सेना के कोई भी अधिकारी और कर्मी मौजूद नहीं थे. इस तरह सजगता के कारण जिला परिवहन विभाग के अधिकारी, कर्मी और बस मालिक साइबर  अपराधियों की चंगुल में जाने से बच गए. बाबत जिला परिवहन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार ने बताया कि वह फिलहाल दुमका जिला में नए हैं. उन्हें अधिक जानकारी नहीं है. फ्रॉड का प्रयास बस मालिक के साथ किया गया. फिलहाल साइबर अपराधियों के मनसुबे पर पानी फिर गया है।.मामले की जांच की जा रही है.

Published at:03 Nov 2025 08:20 AM (IST)
Tags:Jharkhand news Dumka newsCyber criminal Cyber crime Dumka DTO Crime news
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