धनबाद(DHANBAD): प्रवर्तन निदेशालय का डर कहे या और कोई बात, लेकिन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम भी रेस हो गया है. कागजी यानी शेल कंपनियों की पहचान कर कोयला लिंकेज रद्द कर दिया है. एक दो कंपनियों का लिंकेज रद्द नहीं हुआ है बल्कि 140 से अधिक कंपनियों का कोयला लिंकेज रद्द किया गया है. आश्चर्य की बात है कि रद्द की गई लिंकेज में धनबाद की 37 कंपनियां भी शामिल है. मतलब इतनी कंपनियां अभी तक कागज पर कोयला उठा रही थी और खुले बाजार में बेच रही थी. अब तक कितने का मुनाफा इन कंपनियों ने कमाया है और सरकारों को कितना नुकसान हुआ है, इसका तो आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन निगम के इस फैसले से बड़ी गड़बड़ी का खुलासा जरूर हुआ है.
बड़ी गड़बड़ी का खुलासा
झारखंड राज्य खनिज विकास निगम ने इन कंपनियों को कोयला लेने के लिए दी गई अग्रिम राशि को वापस लेने का निर्देश दिया है. निगम को आशंका है कि जिनकी लिंकेज रद्द की गई है, उनमें से अधिकांश कंपनियां कागजी हैं. उनके पास कोई उद्योग अथवा फैक्ट्री नहीं है ,लेकिन कोयला उठा रहे हैं और खुले बाजार में बेच रहे हैं. इस मामले का खुलासा ईडी की जांच से हुआ भी था. हजारीबाग के कोयला कारोबारी इजहार अंसारी द्वारा लघु व मध्यम उद्योगों के नाम पर मिले सस्ते कोयले को बनारस की मंडी में बेचने का खुलासा हुआ था. राज्य सरकार की अनुशंसा पर कोल इंडिया ने उनकी 13 कागजी कंपनियों को कोयला आवंटित किया था. 3 मार्च को ईडी ने हजारीबाग के व्यापारी के ठिकानों पर छापेमारी की थी. जांच के दौरान जिन कंपनियों के नाम पर कोयला उठाया जा रहा था ,वह बंद पाई गई थी. ईडी को जांच में यह पता चला कि राज्य सरकार की अनुशंसा पर कोल इंडिया ने उनकी कंपनियों को कोयला आवंटित किया था.
लिंकेज के खेल में धनबाद की 37 कंपनियों का नाम
इधर धनबाद की जिन 37 कंपनियों का नाम सामने आया है ,उनमें अधिकांश निरसा ,गोविंदपुर और झरिया क्षेत्र की हैं. मतलब अवैध उत्खनन, आउटसोर्सिंग कंपनियों से कोयला चोरी के अलावे भी एक और खेल हो रहा है और यह खेल है लिंकेज के कोयले का. कोयला नीति 2007 के तहत वैसे एम एस एम ई उद्योग, जो अपना कारखाना चलाते हैं, उनको कोयला उपलब्ध कराने के लिए कोल लिंकेज का प्रावधान किया गया है. खपत के मुताबिक कोयला बाजार दर से कम रेट पर उपलब्ध कराने की सरकारी व्यवस्था बनी है. इसके लिए जिला प्रशासन से लेकर खनन विभाग तक की अनुमति लेनी पड़ती है. इन कंपनियों को राज्य में संचालित कुल कंपनियों से कोयला दिया जाता है. देखना है की कंपनी बनाकर कोयला उठाने वालों के धनबाद के कारोबारियों के गिरेबान पर कब ईडी का शिकंजा कसता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो