धनबाद(DHANBAD): अपने समय में धनबाद कोयलांचल के "बेताज बादशाह' रहे सूर्यदेव सिंह के बड़े बेटे राजीव रंजन सिंह तो अब इस दुनिया में नहीं है. धनबाद नगर निगम ने भी उनका मृत्यु प्रमाण पत्र परिवार जनों के आवेदन पर निर्गत कर दिया है. राजीव रंजन सिंह की एक समय राजनीति में धमाकेदार एंट्री हुई थी. झरिया में जुलूस निकालकर उन्होंने सुर्खियां बटोरी थी. साल 2002 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा था. कहते हैं कि उस वक्त पार्टी स्तर पर बहुत सक्रियता नहीं दिखाई गई. कारण यह बताया गया कि बाद के दिनों में सदस्यता फॉर्म का रिनुअल राजीव रंजन ने नहीं कराया था.
3 अक्टूबर 2003 को हुई थी प्रमोद सिंह की हत्या
इधर, 3 अक्टूबर "2003 को कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह की दिनदहाड़े उनके धनसार स्थित घर के बाहर हत्या कर दी गई. वह अभी बनारस से लौटकर घर में घुस ही रहे थे कि उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया. इस हत्याकांड में आरोप लगने के बाद राजीव रंजन सिंह कोलकाता के लिए निकले, लेकिन लौटकर नहीं आये. प्रमोद सिंह की हत्या के बाद धनबाद कोयलांचल में माफियागिरी की दशा और दिशा भी बदल गई थी. सिंह मेंशन और रामायण निवास ( अब स्वर्गीय सुरेश सिंह) एक दूसरे के दुश्मन बन गए थे. कोयले की रैक लोडिंग में भी दबदबा कायम करने की होड़ थी. बाद में "कोयला किंग" के नाम से मशहूर सुरेश सिंह की भी हत्या कर दी गई. यह हत्या 7 दिसंबर 2011 को लुबी सर्कुलर रोड स्थित धनबाद क्लब में की गई थी. हत्या करने का आरोप सूर्यदेव सिंह के भाई रामधीर सिंह के बेटे शशि सिंह पर लगा. उसके बाद शशि सिंह ने धनबाद छोड़ दिया. सुरेश सिंह हथियारबंद अंगरक्षकों के साथ रहते थे.
7 दिसंबर 2011 को हुई थी सुरेश सिंह की हत्या
7 दिसंबर 2011 को लुबी सर्कुलर रोड स्थित धनबाद क्लब में एक रिसेप्शन पार्टी थी. उस पार्टी में सुरेश सिंह आमंत्रित थे. लोग बताते हैं कि धनबाद क्लब पहुंचकर कुछ ही देर में यह कहते हुए सुरेश सिंह चले गए कि दूसरे कार्यक्रम से होकर आते है. फिर वह आये. आने के बाद अपने लोगों के साथ टेबल पर बैठ गए. इसी कार्यक्रम में रामधीर सिंह के पुत्र शशि सिंह भी पहुंचे थे. वह भी अपने लोगों के साथ कुछ दूरी पर बैठे हुए थे. फिर क्या हुआ ,इसकी तो कोई स्पष्ट जानकारी अब तक नहीं सामने आई है, लेकिन आरोप है कि शशि सिंह सुरेश सिंह के नजदीक जाकर अपनी माउजर की गोलियां सुरेश सिंह पर खाली कर दी. घटनास्थल पर ही सुरेश सिंह की मौत हो गई थी. उसके बाद शशि सिंह पजेरो गाड़ी से वहां से निकले और धनबाद छोड़ दिया. इस मामले में पुलिस अभी भी पानी पीट रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो