धनबाद (DHANBAD) : पिता, पत्नी सहित 14 रिश्तेदारों के जिंदा जलने के दुख को सीने में दफन रखने वाले सुबोध श्रीवास्तव अब अपने को रोक नहीं पा रहे हैं. बुधवार को उनका धैर्य जवाब दे गया. धनबाद के SNMMCH में जब उन्होंने अपनी बेटी को देखा तो फफक पड़े. वहां मौजूद सभी लोग भी अपने को रोक नहीं पाए. हालांकि अपनी बेटी नई नवेली दुल्हन स्वाति को ढाढस देते हुए कह रहे थे कि तुमको हिम्मत रखना होगा. बेटा तुम ही पर सब कुछ टीका हुआ है. तुम चाहोगी तो धीरे-धीरे ही सही, परिस्थितियां बदल जाएंगी. लेकिन अगर तुम टूट गई तो सब कुछ खत्म हो जाएगा. इसके पहले तो सुबोध श्रीवास्तव लुकछिप कर रो ले रहे थे लेकिन बुधवार को सबके सामने दिल की बातें उनकी जुबां पर आ गई. नई नवेली दुल्हन स्वाति की जीद पर ससुराल वाले बुधवार को विवाह स्थल से अस्पताल ले गए. वहा मां सहित अन्य परिजनों का अंतिम दर्शन किया. उसके बाद लोगों के समझाने बुझाने पर अपने ससुराल आश्रम रोड, गिरिडीह के लिए चली गई.
गिरिडीह में पसरा मातम
अस्पताल से निकलते वक्त वह अपने पैरों पर नहीं चल पा रही थी. लोगों ने सहारा दिया, समझाया उसके बाद वह ससुराल जाने को राजी हुई. इधर, इस घटना के बाद गिरिडीह के न्यू बरगंडा आश्रम रोड में भी मातमी सन्नाटा पसर गया है. सुबोध लाल की पुत्री और दामाद का गिरिडीह आगमन तो हुआ पर सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. बेहद सादगी से सब कुछ हुआ. 2 फरवरी को सिरसिया के सेलिब्रेशन में रिसेप्शन पार्टी आयोजित थी. उसे भी रद्द कर दिया गया है. गिरिडीह आश्रम रोड के रहने वाले राजेंद्र प्रसाद के पुत्र की 31 जनवरी की रात धनबाद में सुबोध श्रीवास्तव की बेटी स्वाति के साथ विवाह संपन्न हुआ. बेटी को नहीं मालूम था कि मां इस दुनिया से चल बसी है .परिजनों ने किसी प्रकार शादी की रस्में पूरी की. आशीर्वाद टावर अग्निकांड में जितने लोग मरे हैं, सभी सुबोध श्रीवास्तव के परिजन हैं. सभी लोग शादी में हिस्सा लेने पहुंचे थे लेकिन उन्हें क्या मालूम की जिस शादी समारोह में वह लोग जा रहे हैं, वहीं से उनकी अर्थी उठेगी.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद