धनबाद(DHANBAD): चालू वित्तीय वर्ष में कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी और बढ़ेगी. गई. कोल इंडिया के सूत्र बताते हैं कि कोयला मंत्रालय ने पिछले साल के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष में मुद्रीकरण का लक्ष्य 9% अधिक करने के संकेत दिए हैं. धनबाद में संचालित कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड भी प्राथमिकता सूची में है. यहां भी निजी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के संकेत मिल रहे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में बीसीसीएल की दो मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाली दुग्धा कोल वाशरी के लिए मुद्रीकरण भी शुरू की गई थी. आने वाले समय में बीसीसीएल की अन्य पुरानी वाशरिया और बंद भूमिगत खदानें भी निजी क्षेत्र को देने की योजना है. संकेत के मुताबिक पुरानी और गैर परिचालित वाशरियो को निजी स्टील कंपनियों को नीलाम करने पर विचार चल रहा है .
राष्ट्रीयकरण के बाद हाल के वर्षों में निजी कंपनियों की भागीदारी कोल इंडिया में बढ़ रही है. यह अलग बात है कि भूमिगत खदानों अब कंपनी चलाना नहीं चाहती. उत्पादन लागत उसमें अधिक होता है. लेकिन वहां प्राइम कोकिंग कोल की कितनी उपलब्धता है. ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. जिन भूमिगत खदानों को परित्यक्त घोषित कर दिया गया है, वहां कितने मूल्य का प्राइम कोकिंग कोल रिजर्व अभी भी बचा हुआ है,यह जानने की कोशिश शायद नहीं की गई.एक समय में बीसीसीएल वाशरियां भी चलाती थी. कई बंद हो गई हैं. इनमें कोयले की धुलाई कर राख की मात्रा कम की जाती है. ऐसी कुछ वाशरियों को भी निजी हाथों में दिया जा सकता है.
देश के कुल कोकिंग कोल उत्पादन में धनबाद यानी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की हिस्सेदारी 55% से भी अधिक है. बीसीसीएल ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 41 मिलियन टन से अधिक उत्पादन कर देश के मिशन कोकिंग कोल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह अलग बात है कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कोल इंडिया अपने उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ गया है. बीसीसीएल को जहां 100.24 प्रतिशत उपलब्धि मिली है, वहीं ईसीएल के खाते में 93.25 प्रतिशत, सीसीएल के खाते में 102.4 4% की उपलब्धि गई है. वैसे बीसीसीएल में फिलहाल आउटसोर्सिंग कंपनियों का बोलबाला है. 80% से अधिक कोयले का उत्पादन आउटसोर्सिंग कंपनियों के भरोसे होता है. आउटसोर्सिंग कंपनियां पोखरिया खदानों से उत्पादन करती हैं. और यही वजह है कि धनबाद में लगातार प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है. प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन भी किए जा रहे हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो