धनबाद(DHANBAD): इंटक की लड़ाई से यूनियन को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही कोयला मजदूर भी पीस रहे है. उनकी नजरें भी वेतन समझौते पर टिकी हुई है. यूनियन में झगड़े के कारण जेबीसीसीआई की बैठक नहीं हो पा रही है. राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन और इंडिया नेशनल माइंस वर्कर्स फेडरेशन दोनों ने जेबीसीआई में दावेदारी की है. जेबीसीसीआई के लिए इंटक से दो सूची भेजी गई है. कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश को लेकर कोल इंडिया ने अपर सॉलीसीटर जनरल से राय मांगी है.
अब लीगल ओपिनियन के बाद ही कुछ संभव
लीगल ओपिनियन के बाद ही अगली बैठक में जेबीसीसीआई में शामिल करने पर कोल् इंडिया फैसला ले सकता है.इस विवाद के कारण जेबीसीसीआई की बैठक नहीं हो पा रही है. विधायक जय मंगल सिंह के नेतृत्व वाला फेडरेशन 16 फरवरी को अपने प्रतिनिधियों की सूची भेज चुका है, वहीं 23 फरवरी को फेडरेशन के दूसरे गुट के महामंत्री ललन चौबे ने भी अपने प्रतिनिधियों के नाम भेजे है. अब सॉलीसीटर जनरल के मंतव्य पर ही निर्भर करता है कि आगे कोल इंडिया क्या निर्णय है ले पाती है.
इंटक की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही
इधर ,इंटक की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी इसमें हस्तक्षेप कर देख लिया. अभी हाल ही में डॉक्टर संजीव रेड्डी को अध्यक्ष चुना गया है. उस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी पहुंचे थे. उम्मीद जताई जा रही थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी के बाद इंटक के दूसरे गुट के लोग पीछे हट जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. जेबीसीसीआई के लिए दो सूची भेज दी गई है. यही दोनों सूचियां कोल इंडिया प्रबंधन के लिए परेशानी पैदा कर दी है. अगर इंटक का विवाद खत्म हो जाए तो कोयला मजदूरों के वेतन समझौता पर भी निर्णय जल्द हो सकता है. लेकिन लगता नहीं कि इंटक का विवाह जल्द सुलझ पाएगा. इंटक के विवाद का असर आप सीधे कोयला मजदूरों पर पड़ रहा है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह