गिरिडीह(GIRIDIH): खतियान जोहार यात्रा लेकर गिरिडीह पहुंचे सूबे के मुख्यंमत्री हेमंत सोरेन ने अंतिम दिन बुधवार को झंडा मैदान से विपक्ष के खिलाफ हुंकार भरा तो वहीं अधिकारियों पर गुस्सा निकाला. वहीं सम्मेद शिखर के मुद्दे पर जैन समाज को भी आड़े हाथ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ा. खतियान जोहार यात्रा के दौरान संबोधन के क्रम में मुख्यमंत्री हेमंत ने खुले मंच से गिरिडीह पुलिस और अर्धसैनिक बलों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि तीर-धनुष और नगाड़ा आदिवासियों की पंरपरा है और राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री है तो यह कतई बरर्दाश्त नहीं होगा कि आदिवासियों के पंरपरा से गिरिडीह पुलिस खिलवाड़ करें. नहीं तो आने वाले दिनों में गिरिडीह पुलिस को कड़े अंजाम भुगतने होगें. सीएम हेमंत ने कहा कि वो पिछले दो दिनों से गिरिडीह में हैं और इन दो दिनों में सिर्फ एक ही शिकायत सामने आई है कि स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बल अब नक्सली के नाम पर आदिवासियों के घर घुसकर उनके तीर-धनुष और नगाड़ों को छीन ले रहे हैं. सीएम ने खतियान जोहार यात्रा के खुले मंच से पुलिस को अल्टीमेटम दिया कि नक्सली है तो उसे साबित करे और जेल भेजे. लेकिन बेवजह किसी आदिवासी को परेशान नहीं करें. खास तौर पर पंरपरा के साथ खिलवाड़ बिल्कुल भी नहीं हो.
अधिकारी सरकार को बेवकूफ बना रहें
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब भी राज्य के अधिकारी उनके सरकार को बेवकूफ बना रहे हैं. पंचायत से लेकर हर स्तर पर योजनाओं में गड़बड़ी है. कहीं किसी योजना में पारदर्शिता रखा ही नही जा रहा है. ऐसे में उनकी सरकार ने अब तय किया है कि काम नहीं कर सिर्फ कागजों में उपलब्धि दिखाने वाले अधिकारियों और कर्मियों के वेतन में कटौती किया जाएगा. फिर चाहे वो एक आईएएस अधिकारी हो या, उनसे छोटे स्तर के अधिकारी, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा होगा तो अधिकारियों के होश ठिकाने आएगें. मंच से संबोधन के क्रम में मुख्यमंत्री ने केन्द्र के मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि सम्मेद शिखर विवाद पैदा कर उनके सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.
केंद्र को जल्द भेजा जाएगा सरना कोड का प्रस्ताव
अब केन्द्र सरकार के पास जल्द ही सरना कोड का प्रस्ताव भेजा जाएगा. प्रस्ताव पास हुआ तो ठीक, नहीं तो मोदी सरकार को आदिवासी विरोधी ही माना जाएगा. क्योंकि आदिवासी समुदाय की पहचान एक शांतिप्रिय समाज के रुप में है, लेकिन सम्मेद शिखर का विवाद खड़ा कर मोदी सरकार ने साजिश रचा है. वैसे आदिवासी समाज भी जैन समाज के धर्म को मान्यता देता है, लेकिन पारसनाथ पहाड़ के लिए आदिवासी समुदाय के कई महापुरुष शहीद हुए हैं. संबोधन के क्रम में मुख्यमंत्री ने एक बार फिर उपस्थित जनसमूह को भरोषा दिलाते हुए कहा कि स्थानीयता के आधार पर अब हर विभागों में बहाली होगी, जबकि इसी के तहत राज्य के कारखानों में भी स्थानीय युवाओं को नौकरी मिलेगा.
रिपोर्टः दिनेश कुमार, गिरिडीह