रांची(RANCHI)- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.उन्होंने कोल्हान की एक प्रमुख भाषा 'हो' को आवश्यक सम्मान देने का आग्रह किया है.उन्होंने कहा है कि आदिवासी समाज की यह प्रमुख मांग रही है. इसलिए इसे पूरा किया जाना चाहिए.
कोल्हान क्षेत्र में 'हो' भाषा एक प्रमुख भाषा रही है
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आदिवासी समाज में भाजपा का पूरा प्रचार कर रहे हैं. जगह-जगह घूम कर आदिवासी समाज को झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की नाकामी को बता रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा के शासनकाल की तारीफ भी कर रहे हैं. हो समाज युवा महासभा की यह मांग रही है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में हो भाषा को शामिल किया जाए. इसको लेकर 14 सितंबर को नई दिल्ली में जंतर मंतर पार्लियामेंट स्ट्रीट में धरना प्रदर्शन भी किया गया.
मालूम हो कि कोल्हान क्षेत्र में हो भाषा का एक प्रमुख स्थान है. यह एक पुरानी और समृद्ध भाषा रही है. एक बड़ी आबादी इस भाषा का प्रयोग करती है. इसलिए संविधान की आठवीं अनुसूची में इसे शामिल करने से इस भाषा का राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार होगा.
हो भाषा का इतिहास भी थोड़ा जानिए
झारखंड के दृष्टिकोण से हो भाषा प्रमुख रूप से सिंहभूम क्षेत्र में बोली जाती है. वैसे इस भाषा का इतिहास एस्ट्रो एशियाई भाषा परिवार की मुंडा शाखा से जुड़ा हुआ है. इसे भूमिज और मुंडारी भाषा से भी जोड़कर देखा जाता है. झारखंड के बाहर पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम में भी बोली जाती है. एक जानकारी के अनुसार लगभग 21 लाख लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं. इसकी लिपि वारंग क्षिति है. इसका आविष्कार ओत गुरु कोल लको बोदरा द्वारा किया गया था. चंपाई सोरेन ने अपनी पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री से यह उम्मीद की है कि भारत सरकार हो समाज की इस महत्वपूर्ण मांग को पूरा करेगी.