चाईबासा (CHAIBASA) : पश्चिमी सिंहभूम जिले के अतिनक्सल प्रभावित टोंटों व गोईलकेरा थाना क्षेत्र के बोर्डर पर हुई गुरूवार को एक करोड़ के ईनामी नक्सली मिशिर बेसरा के दस्ता के साथ पुलिस की मुठभेड़ में कोबरा बटालियन के पांच जावान घायल हो गए थे. इसके बाद चाईबासा पुलिस सीआरपीएफ के साथ नक्सलियों के विरुद्ध सर्च अभियान जहां तेज कर दी है वहीं दुसरी ओर भाकपा नक्सली संगठन दो दिसंबर से आठ दिसंबर तक 22वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस कारण पुलिस सतर्क हो गई है. स्थापना दिवस के दौरान नक्सली भारी उत्पात मचाने की कोशिश में लगे रहते हैं. इनकी योजनाओं को विफल करने के लिए जिला पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा, झारखंड जगुआर के जवान नक्सलियों के गढ़ टोंटो और गोईलकेरा थाना क्षेत्र के घने जंगलों में विशेष रणनीति के तहत एक दिसम्बर की अहले सुबह घुसे. वहां पहले से घात लगाये नक्सलियों ने पुलिस टीम पर हमला कर पांच जवानों को घायल कर दिया. काफी नजदीक से दो स्थानों पर आमने-सामने की मुठभेड़ में पुलिस को भारी पड़ता देख नक्सली घने जंगलों का लाभ उठा भाग गये. हालांकि पुलिस इस मुठभेड़ बड़ी सफलता भी मान रही है, क्योंकि नजदीकी मुठभेड़ को देख स्थानीय व नये नक्सली संगठन छोड़ कर भाग जाते हैं. इसके अलावे नक्सलियों के छिपने का सुरक्षित जोन व वहां की भौगोलिक स्थिति से पुलिस पूरी तरह से वाकिफ हो जाती है. इससे नक्सली दोबारा वैसे स्थानों पर स्थायी कैंप बनाने से डरते हैं.
डर से ग्रामीण नक्सलियों को सूचना व राशन नहीं पहुंचाते हैं
सर्च अभियान व मुठभेड़ के बाद डर से आसपास के ग्रामीण नक्सलियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सूचना व राशन आदि पहुंचाना बंद कर देते हैं अथवा गांव छोड़ कर भाग जाते हैं. मुठभेड़ स्थल के पास के गांवों के लोगों को पुलिस संदेह की नजर से देखना शुरू कर देती है, जिससे नक्सलियों व ग्रामीणों के बीच दूरी बढ़ने लगती है. इन सभी स्थितियों में नक्सलियों का मैन पावर, मारक क्षमता कमजोर होती चली जाती है. पुलिस भी यही चाहती है कि नक्सलियों से उनकी निरंतर मुठभेड़ होती रहे, जिससे नक्सली भागते रहें और उनका सारा नेटवर्क ध्वस्त होता रहे.
सभी कैंप और पुलिस थाना अलर्ट पर है
नक्सलियों को कमजोर करने के लिए ही जिला पुलिस और सीआरपीएफ सारंडा और कोल्हान के जंगलों और उससे सटे ग्रामीण औरशहरी क्षेत्रों में रात-दिन सर्च अभियान चला रही है, ताकि नक्सली स्थापना दिवस सप्ताह के दौरान कहीं कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सके।सभी कैंपों और पुलिस थानों को रात-दिन अलर्ट पर रखा गया है. विभिन्न पहाड़ियों पर पुलिस रात भर लूप और एम्बुलेंस लेकर नक्सलियों की तलाश कर रही है. कोबरा, सीआरपीएफ और पुलिस की विशेष टीम नक्सलियों को उनके मांद में घुसकर खोज रही है।यह ऑपरेशन लंबा चल सकता है.
अपने साथियों के पकड़े जाने से खार खाए हैं नक्सली
भाकपा माओवादी नक्सली संगठन अपने दो सदस्यों की गिरफ्तारी और उन्हें अब तक कोर्ट में नहीं पेश करने से गुस्से में है. 20 नवम्बर की शाम लगभग 6 बजे झींकपानी बस स्टैंड से पुलिस ने एलजीएस कमांडर सह एरिया कमिटी के सदस्य मड़कम दोबे उर्फ राहत को गिरफ्तार किया है. वह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिला अन्तर्गत कुतुल गांव का रहने वाला है. 20 नवंबर को ही पुलिस ने एरिया कमेटी सदस्य मेरीना सिरका को गिरफ्तार किया था. वह पश्चिम सिंहभूम जिला के जेटेया थाना अन्तर्गत पोखरिया गांव का रहने वाला है।झींकपानी पुलिस ने उसे हाटगम्हरिया थाना अन्तर्गत उसके बडे़ भाई के ससुराल से गिरफ्तार कर गुप्त स्थान पर रखकर पूछताछ कर रही है है. इससे नक्सली नाराज हैं.
गिरफ्तार नक्सलियों को कोर्ट में पेश करेंःप्रवक्ता
दक्षिणी जोनल कमिटी के प्रवक्ता अशोक ने पहले ही बयान जारी कर गिरफ्तार दोनों नक्सली को अविलम्ब कोर्ट में पेश करने की मांग की थी। कोर्ट में नहीं पेश किये जाने की स्थिति में इसके खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी है। नक्सली प्रवक्ता अशोक के अनुसार गोईलकेरा थाना अन्तर्गत आराहासा पंचायत की रहने वाली रानी और प्रीति नामक दो युवती को भी गिरफ्तार किया है, जबकि वे दोनों सांस्कृतिक टीम की सदस्य हैं। पुलिस दोनों को पकड़ कर आराहासा कैंप में रखी हुई है।
रिपोर्ट: चाईबासा, संतोष वर्मा