चाईबासा(CHAIBASA): खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा क्षेत्र में कुपोषण और आंगनबाड़ी सेवाओं की स्थिति पर सोनुआ प्रखंड के रामचन्द्रपोस गांव में बुधवार को जन सभा का आयोजन किया गया. सभा में प्रखंड के विभिन्न गावों से ग्रामीणों ने भाग लिया और अपनी गावों की स्थिति को साझा किया. हाल में मंच द्वारा सोनुआ में आंगनबाड़ी सेवाओं पर किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट को भी रिलीज़ किया गया. कई बार आमंत्रण के बावजूद सामाजिक कल्याण, महिला और बाल विकास मंत्री जोबा माझी जनता के सवालों का सामना करने से बचने के लिए सभा में नही आई. सभा के अंत में अंचल पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी सोनूआ कुछ समय के लिए आए.
कराया गया सर्वेक्षण
पिछले एक साल से लगातार राज्य सरकार आंगनबाड़ी में 3-6 साल के बच्चों के लिए 6 अंडे प्रति सप्ताह की घोषणा कर रही है. सभा में आए ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि किसी आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को अंडा नहीं मिल रहा है. मंच के सर्वेक्षण में भी पाया गया कि आखरी बार अंडा 2019 में 1-2 महीने के लिए मिला था. सभा में सर्वेक्षण के रिपोर्ट (संलग्न) को जारी किया गया. प्रखंड के 10 गांवों की 18 आंगनबाड़ियों से मिलने वाली सेवाओं का सर्वेक्षण किया गया था. मंच के सदस्य प्यारी देवगम ने कहा कि सर्वेक्षण में आंगनबाड़ी की स्थिति अत्यंत निराशानक पायी गई है. केवल 55% आंगनबाड़ी केंद्र नियमित रूप से खुलते हैं और केवल 55% केन्द्रों में सेविका नियमित रूप से उपस्थित रहती है.
मानदेय 3 महीने से लंबित
केवल 27% केन्द्रों में 3-6 साल के बच्चों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता आमतौर पर अच्छी होती है. सर्वेक्षण के दौरान अनेक केन्द्रों में दिखा कि सिर्फ हल्दी, चावल और थोड़ी सी दाल मिलाकर खिचड़ी ही दी जाती है. सभा में आई कई सेविकाओं ने कहा कि उनका मानदेय 3 महीने से लंबित है और पोषाहार के पैसे भी 7 महीनों से लंबित है. इस कारण बच्चों को सही मात्रा में पोषणयुक्त खाना देना मुश्किल हो रहा है. गैस सिलिंडर 2021 में मिला था लेकिन एक बार भी इसका पैसा नहीं मिला. कई सेविकाओं ने यह भी कहा कि मोबाइल एप में बच्चों के निबंधन और हाजरी भरने में समस्या होती है. बिना आधार वाले बच्चों का एंट्री न होने या आधार एंट्री में गड़बड़ी के कारण टेक–होम–राशन आवंटन को रोक दिया जाता है.
आगनबाड़ी में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति दयनीय
आंगनबाड़ी केन्द्रों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति दयनीय है. 18 में से 4 आंगनबाड़ी अभी भी सेविका के घर या किसी सामुदायिक भवन में चल रही है. ऐसे केन्द्रों में बच्चों के बैठने की भी सही व्यवस्था नहीं है. कई केन्द्रों का निर्माण वर्षों से लंबित है. शेष 14 केन्द्रों में से 10 केन्द्रों में मरम्मती की बहुत ज़रूरत है. आधे केन्द्रों में पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था नहीं है. केवल 22% केन्द्रों में ही चालू शौचालय है. किसी भी केंद्र में बिजली नहीं है.
बच्चों की शिक्षा की नीव आंगनबाड़ी में शुरू होती है. लेकिन सर्वेक्षित केन्द्रों में बच्चों को न के बराबर स्कूल-पूर्व शिक्षा मिल रही है. केवल 17% केन्द्रों में ही बच्चों को नियमित रूप से शिक्षा मिल रही है. 44% में तो बिलकुल नहीं मिल रही है.
कई बच्चे आंगनबाड़ी सेवाओं से पूर्ण रूप से वंचित हैं क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्र उनके टोले से दूर है. भालुमारा की बिसंगी मेलगंडी ने कहा कि उनके टोले से आंगनबाड़ी बहुत दूर है. इसलिए सभी बच्चे वंचित हैं. उन्होंने टोले में आंगनबाड़ी बनाने के लिए आवेदन भी दिया है. सभा में बच्चों ने अंचल पदाधिकारी सह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी सोनुवा समेत सभा में उपस्थित सभी प्रशासनिक पदाधिकारियों को अंडा और केला दिया गया और कहा कि कम-से-कम मंत्री और प्रशासन को सही पोषण मिले.
बच्चे को एक अंडा तक नहीं दे पा रही सरकार
मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मानकी तुबिड ने कहा कि सोचने का विषय है कि विभागीय मंत्री के खुद के विधान सभा क्षेत्र में ही आंगनबाड़ियों की ऐसी स्थिति है. ज़िले के अन्य प्रखंडों में भी यही देखने को मिलता है. बनमाली बारी ने कहा कि एक ओर ज़िला से अरबों का खनन किया जा रहा है और विकास के नाम पर डिस्ट्रिक्ट मिनरल कोष से करोड़ों रु खर्च किए जा रहे हैं. वहीँ दूसरी ओर सरकार हर बच्चे को मात्र एक अंडा तक नहीं दे पा रही है.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा