बिहार(BIHAR): राज्य में अब भूमि सर्वेक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी. भूमि विवाद की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए बिहार सरकार ने एक अनोखा कदम उठाया है. अब जनता के पास बैंक पासबुक की तरह अपनी जमीन की भी पासबुक होगी. सरकार ने आईआईटी रुड़की से टाई-अप कर जमीन के डाटा को तैयार करने का एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत भूमि संबंधी किसी भी दस्तावेज को आसानी से देखने व जानकारी रखने के लिए लोगों को बैंक पासबुक की तरह उनकी जमीन से सम्बंधित पासबुक दिए जायेंगे. इसके लिए आईआईटी रुड़की में एकीकृत भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित की जा रही है.
प्रणाली के लिए 16 करोड़ 50 लाख रुपये व्यय की स्वीकृति
वहीं, इस प्रणाली के लिए 16 करोड़ 50 लाख रुपये व्यय की स्वीकृति राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने दे दी है. इस प्रणाली के विकसित होने के बाद भविष्य में भूमि सर्वेक्षण की जरूरत नहीं होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि जमीनी डाटा को संग्रह करने में यह प्रणाली कारगर साबित होगी. साथ ही भूमि विवाद के मामलों में भी कमी होगी.
क्या है एकीकृत भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली
एकीकृत भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि भूमि के हस्तांतरण और पंजीकरण तथा भूमि अभिलेखों के अद्यतनीकरण, जैसे कि म्यूटेशन, विभाजन, रूपांतरण और पुनर्वर्गीकरण तथा भूमि राजस्व संग्रह की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन संचालित की जाएं और लोगों को भूमि अभिलेखों तक ऑनलाइन पहुंच प्राप्त हो.
भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली से मिलेंगे यह लाभ
- विभाग एवं आमजन के बीच पारदर्शिता
- शुद्धता के साथ वास्तविक समय में भूमि अभिलेखों व मानचित्रों का अद्यतीकरण
- भू धारकों के लिए भूमि पासबुक की उपलब्धता
- वर्तमान स्थिति के अनुसार चालू खतियान, जमाबंदी पंजी और संबंधित अभिलेखों का ऑटोमेटिक अद्यतीकरण
- ऑनलाइन भू लगान भुगतान एवं दखल-कब्जा प्रमाणपत्र की सुविधा
- अधिकार अभिलेख, चालू खतियान, खेसरा पंजी, दाखिल-खारिज पंजी व शुद्धि पत्र-आदेश को देखने और डाउनलोड करने की सुविधा
- वास्तविक समय आधारित मानचित्र की सहायता से योजना एवं अनुश्रवण की प्रक्रिया का सरलीकरण
- आधार सिडिंग की सुविधा
- भू अर्जन की प्रक्रिया का सरलीकरण
- ऑनलाइन भू मापी की सुविधा