रांची(RANCHI): झारखंड में 1932 आधारित स्थानीय नीति (झारखंड पदों एवं आरक्षण संसोधन विधेयक) को दोबारा से राजभवन भेजने के लिए बिना संसोधन के विधानसभा से बिना किसी त्रुटि सुधार के पास कर दिया गया. अब फिर यह विधेयक राजभवन भेजा गया है. इससे पहले सदन में नेता प्रतिपक्ष की ओर से सुझाव दिया गया कि इसमें जो त्रुटि है उसे सुधार कर भेजे. ऐसे में युवाओं के सपने कभी पूरे नहीं हो पाएंगे.
विधेयक को घुमा रही सरकार
सदन के बाहर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार इस विधेयक को सिर्फ घुमा रही है.यह नियोजन का मुद्दा है और इसमें केंद्र को बिना मतलब के शामिल किया जा रहा है.जैसे उन्होंने अपनी सरकार में 1932 के बिल को सीधा कैबिनेट से पास कर कानून बना दिया गया था.अगर सरकार की मंशा ठीक रहती तो इस तरह से एक साल से विधेयक को लटका कर नहीं रखते.
सरकार चार सालों में सिर्फ जुमला देने में लगी
सदन में बहुमत में है ऐसे में किसी भी बिल को यह पास कर सकते है. लेकिन जब बात झारखंड की भावना से जुड़ी हो तो हर जगह राजनीति करना सही नहीं होता है. स्थानीयता के विधेयक जब कानून बनेगा तो यहां के स्थानीय मूलवासी लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन सरकार चार सालों से सिर्फ जुमला देने लगी है. अगर स्थानीय लोगों से इसे लेना देना होता तो संसोधन कर के ही दोबारा से पास करती.
रिपोर्ट. समीर हुसैन