देवघर (DEOGHAR) : मौजूदा सरकार झारखंड में सड़कों का जाल बिछाने का दावा करती है. जहां ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पक्की सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत भी 250 से अधिक आवादी वाले गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने का काम कराने का दावा किया जाता रहा है. लेकिन इन सब दावों के बीच देवघर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवपुरा गांव के ग्रामीण आजादी के बाद से आज तक एक पक्की सड़क के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं.
रिश्ता जोड़ने से कतराते हैं लोग
लगभग एक हज़ार की आवादी वाले इस गांव के ग्रामीण अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक गुहार लगा कर थक गए लेकिन किसी के भी कान तक जू नहीं रेंगा. सड़क के अभाव में गांव की यह स्थिति है कि आए दिन स्थानीय लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. खासकर बारिश के मौसम में बीमार होने पर अस्पताल पहुंचाने के लिए भी ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं गांव में संपर्क सड़क नहीं रहने से लड़के-लड़कियों की शादी के लिए भी लोग संबंध बनाना नहीं चाहते हैं. जिला का शिक्षित गांव और यहां के किसान जमकर खेती भी करते है. सभी तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद थक-हार कर स्थानीय लोगों ने the news post से गुहार लगाई. हमने अपना फर्ज निभाते हुए हर समाचार की तरह इस खबर को भी अधिकारी के पास रख उनका मंतव्य जानने की कोशिश की. हमारे द्वारा जिला के उपविकास आयुक्त कुमार ताराचंद के संज्ञान में डाला गया. जैसे ही हमने बात कर ग्रामीणों की समस्या के बारे में बताया. डीडीसी ने तुरंत फोन कर देवघर बीडीओ को गांव जाकर जल्द से जल्द सड़क निर्माण कराने का निर्देश के साथ आदेश भी दिया.
नहीं होता ग्रामीणों की समस्या का समाधान
अब देखना होगा कि आजादी के बाद ग्रामीणों को पक्का सड़क कब तक मिलेगा. जब तक ग्रामीणों का संपर्क मुख्य सड़क से नहीं हो जाता तब तक हमारी मुहिम जारी रहेगी. सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजना पहुंचाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाती है. ग्रामीणों के लिए कई अधिकारी भी नियुक्त करती है. लेकिन ग्रामीणों की समस्या का समाधान फिर भी नहीं हो पाता है. तब ग्रामीण चौथे स्तंभ से गुहार लगाते हैं.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर