चाईबासा(CHAIBASA): पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय के सभागार में नीलाम पत्र वाद और न्यायालीय वादों से संबंधित समीक्षात्मक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक की अध्यक्षता झारखंड राजस्व परिषद के सदस्य अमरेंद्र प्रताप सिंह ने की. इस मौके पर जिला उपायुक्त अनन्य मित्तल और जिला भू-अर्जन पदाधिकारी एजाज़ अनवर सहित जिला स्तरीय पदाधिकारी, सदर चाईबासा, पोड़ाहाट-चक्रधरपुर और जगन्नाथपुर के अनुमंडल पदाधिकारी भी मौजूद थे.
सबसे ज्यादा 6700 करोड़ रुपये के लंबित मामले खनिज विभाग के
समीक्षा के बाद राजस्व परिषद के सदस्य ए.पी सिंह ने बताया कि आज की बैठक एक रूटीन प्रक्रिया के तहत निर्धारित है और नीलाम पत्र वाद में सबसे ज्यादा लंबित मामले 6700 करोड़ रुपये की खनिज विभाग से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि कागजी तौर पर पश्चिमी सिंहभूम जिले में 7000 करोड़ रुपये का नीलाम पत्र वाद लंबित है, जिसमें उपर्युक्त खनन विभाग की राशि भी सन्निहित है. यह मामला उच्च न्यायालय में प्रक्रियाधीन है.
“300 ऐसे मामले हैं, जो 5 लाख से लेकर करोड़ों रुपए तक के हैं”
उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान संलग्न पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि और वसूली किए जाने की संभावित राशि से संबंधित सभी कागजातों को दुरुस्त और कंप्यूटराइज करते हुए यह देखा जाए कि ऐसे कितने मामले हैं, जिनमें संलग्न व्यक्ति अब मौजूद नहीं हैं. उन्होंने बताया कि इनमें से 300 ऐसे मामले हैं, जो 5 लाख से लेकर करोड़ों रुपए तक के हैं, जिसे लेकर जिले के उपायुक्त को अपने स्तर से समीक्षा करते हुए प्रथम पेज में इनकी और वसूली प्रारंभिक तौर पर शुरू करने के लिए सूचित किया गया. उन्होंने कहा कि बैंकों से संबंधित अधिकतर मामले छोटे राशि के हैं तथा बैंक के पदाधिकारी अक्सर पंजी 9/10 की मिलान के लिए सर्टिफिकेट पदाधिकारी के कार्यालय में आते रहते हैं. इस निमित्त बैकों के सर्टिफिकेट पदाधिकारी को निर्देशित किया गया कि जो बैंक खाता एनपीए है और कर्ज की राशि 50,000 से नीचे है, तो जिला में उपायुक्त के नेतृत्व में और संलग्न बैंक से वार्ता कर संबंधित व्यक्ति को इस शर्त पर रियायत दिया जा सकता है.
रिपोर्ट: संतोष वर्मा, चाईबासा