रांची (RANCHI): झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने 2026 की मैट्रिक और इंटर परीक्षा के फॉर्म भरने के लिए पर्मानेंट एजुकेशन नंबर (PEN) को अनिवार्य कर दिया है. इस फैसले के बाद पूरे राज्य में छात्र, अभिभावक और शिक्षक चिंतित हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में बच्चों के पास अभी तक पेन नंबर नहीं है.
20–30% छात्र हो सकते हैं फॉर्म भरने से वंचित
राज्य के कई स्कूलों में 20 से 30 प्रतिशत छात्रों के पेन नंबर अभी तक नहीं बन पाए हैं. इसका मुख्य कारण है—आधार कार्ड और स्कूल रिकॉर्ड में नाम, जन्मतिथि या पिता के नाम में हल्का-सा अंतर. इन गलतियों की वजह से पेन जनरेट करने की प्रक्रिया अटक जाती है और विद्यार्थी फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं.
आधार वैकल्पिक, पर पेन जरूरी
JAC की ओर से कहा गया है कि आधार अनिवार्य नहीं है, लेकिन PEN बिना फॉर्म नहीं भरा जाएगा. स्कूलों का कहना है कि जब इतने बच्चों के पेन नंबर ही नहीं बने हैं, तो 5 दिसंबर तक सभी के फॉर्म जमा कराना संभव नहीं है.
स्कूल प्रिंसिपल्स और शिक्षकों की बढ़ी चिंता
शिक्षकों और प्रिंसिपलों का कहना है कि,
दस्तावेजों में सुधार में काफी समय लगता है.
पेन बनने में भी देरी हो रही है.
अंतिम तिथि करीब होने से छात्रों पर दबाव बढ़ गया है.
अभिभावक भी कहते हैं कि बच्चों के भविष्य का सवाल है, इसलिए या तो पेन की अनिवार्यता पर पुनर्विचार हो या फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए.
समाधान क्या हो सकता है?
शिक्षा से जुड़े लोगों ने JAC से मांग की है कि,
पेन जनरेशन की प्रक्रिया को तेज और आसान किया जाए.
अंतिम तिथि आगे बढ़ाई जाए.
जरूरत पड़ने पर छात्रों को वैकल्पिक विकल्प दिया जाए, ताकि कोई भी बच्चा परीक्षा से बाहर न रह जाए.
