दुमका(DUMKA): जिला के सरैयाहाट थाना क्षेत्र से मानव तस्करी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. थाना क्षेत्र के बिरना गांव की एक नाबालिग को बिहार के मोतिहारी जिला में ₹80 हजार में बेच दिया गया था. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल नाबालिग को सकुशल बरामद कर लिया बल्कि चार आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया.
किशोरी के गायब होने से गांव वाले भी थे चिंतित
एक बुज़ुर्ग दादी की आंखों में भरी चिंता, घर के आँगन में पसरा सन्नाटा और एक मासूम बच्ची के अचानक गायब हो जाने से सरैयाहाट थाना के बिरना गांव इसी पीड़ा में डूबा था. 14 वर्षीय किशोरी जो सिलाई सीखने की उम्मीद लेकर घर से निकली थी, बिना बताए कहीं खो गई. दादी सुशीला देवी हर दिन आस लगाए बैठी थीं कि उनका नन्हा पौधा वापस लौट आएगा.
दादी ने पुलिस को दी पोती की गुमशुदगी और उसके बाद बेचने की सूचना
06 दिसंबर की रात दादी सुशीला देवी दोबारा थाना पहुंचीं. उसने बताया कि उनकी पोती को तीन महिलाओं ने 80,000 रुपये में एक युवक को बेच दिया है. यह सुनते ही थाना परिसर की हर दीवार मानो सन्न हो गई. पुलिस ने एक पल की भी देरी किए बिना कांड दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी.
मुजफ्फरपुर से मोतिहारी तक नाबालिग की तलाश में पुलिस की छापेमारी
पहले ही पुलिस टीम मुजफ्फरपुर रवाना हो चुकी थी. दूसरी टीम मोतिहारी के लिए निकल पड़ी. मासूम की जिंदगी दांव पर थी. हर मिनट भारी था. आखिरकार मोतीहारी जिले के राजेपुर थाना क्षेत्र के सगहरी गांव में पुलिस की छापेमारी रंग लाई. पुलिस ने डरी सहमी किशोरी को सकुशल बरामद कर लिया, साथ ही किशोरी को खरीदने वाला अरुण सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया.
पोती की बरामदगी की खबर सुन रो पड़ी दादी
पुलिस ने जब दादी को बताया गया कि उनकी पोती मिल चुकी है, तो उनकी आंखों से बहते आँसू किसी जीत की तरह चमक रहे थे. इंसानियत उस पल फिर से जीत गई थी.
तीन महिला सहित चार आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने न सिर्फ पीड़िता को छुड़ाया बल्कि चारों आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जिनका नाम मसोमात चुड़की देवी, उम्र 50 वर्ष, पार्वती देवी उर्फ पानवती देवी, उम्र 55 वर्ष, पिंकी देवी उर्फ प्रियंका देवी, उम्र 40 वर्ष और अरुण सिंह, उम्र 27 वर्ष है. सभी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.
पुलिस टीम की मेहनत ने लौटाई मासूम की मुस्कान
थाना प्रभारी राजेन्द्र यादव के नेतृत्व में पूरी टीम अनुसंधानकर्ता जयप्रकाश दास सहित 12 अन्य पुलिसकर्मियों ने दिन-रात एक कर बच्ची को वापस लाने का काम किया. उनकी यह प्रयास न सिर्फ कानून की जीत है, बल्कि मानवता की भी.
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि जब पुलिस दिल से काम करे और परिवार की उम्मीदें टूटने न दी जाएं तो मासूमियत हमेशा वापस लौट आती है.
