पटना(PATNA): बिहार की खुशी तीन साल से लापता है. बच्ची का अपहरण कर लिया गया. लेकिन इस अपहरण के पीछे ऐसी कौन सी वजह है कि अब तक पुलिस और सीबीआई खुशी का पता नहीं लगा सकी.आखिर किसके दबाव में खुशी के अपहरणकर्ता और बच्ची को तलाशने में सभी तंत्र फेल हो जा रहा है. जबकि कोर्ट ने सभी मामलों को छोड़ कर प्राथमिकता देते हुए खुशी केस को सुलझाने का आदेश सीबीआई को दिया था. बावजूद जांच की कड़ी आगे नहीं जुड़ सकी. अब इस मामले में सवालों के घेरे में सीबीआई भी आगई है. थक हार कर बच्ची के पिता ने सीबीआई के ऊपर पटना हाई कोर्ट में आपराधिक याचिका दायर कर दिया है.
15 माह की बहस के बाद सीबीआई को दिया गया था केस
बच्ची का अपहरण 16 फरवरी 2021 मुजफ्फरपुर जिला के ब्रमहापुर थन क्षेत्र के परमारिया टोला स्तिथ उसके घर के पास से किया गया था. थाना में शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.मामला कोर्ट पहुंचा और करीब 15 माह लंबी बहस इस केस में चली.जिसके बाद भी मुजफ्फरपुर पुलिस ने कोई जवाब या कार्रवाई कर कोर्ट के सामने नहीं रख सकी. जब बच्ची के पिता राजन शाह का सब्र का बांध टूटने लगा तो उम्मीद केन्द्रीय जांच एजेंसी पर टिकी थी. आखिर कार राजन के अधिवक्ता ने इस केस को सीबीआई को देने की अपील की गई.
सीबीआई ने केस को हल्के में लिया
जिसके बाद दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 15 दिसंबर 2022 को इसे सीबीआई को सौप दिया.इस दौरान मुजफ्फर पुलिस की ओर से बसह कर रहे अधिवक्ता इसका विरोध भी किया था. उनका कहना था की इस केस को सीआईडी को हैंड ओवर कर दिया जाए. लेकिन कोर्ट ने बच्ची के मामला को देखते हुए सीबीआई को देने का आदेश दे दिया.साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया था की सभी अन्य केस को छोड़ कर प्राथमिकता के आधार पर इस मामले की जांच कर बच्ची को बरामद किया जाए. साथ मुजफ्फरपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक को दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
सीबीआई ने पाँच लाख की घोषणा किया
इस पूरे मामले में राजन शाह के अधिकवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने बताया कि सीबीआई ने इस केस में कोर्ट के आदेश को भी नहीं माना है. आदेश के 15 दिन बाद केस को अपने पास रजीस्टर्ड किया इसके 42 दिन बाद कोर्ट से इस केस को स्पेशल कोर्ट में भेजने का अनुरोध किया. इसके अलावा एक साल बाद इस केस में पॉलिग्राफी की करने की मांग कोर्ट से की गई है. जबकि अब तक AUDIO की जांच सीबीआई ने नहीं किया है.”AUDIO में एक महिला ने बताया था की दो लाख रुपये खर्च करने के बाद बच्ची का पता चल सकता है बच्ची मुजफ्फरपुर से पटना के बीच में है” सीबीआई ने इस AUDIO के सामने आने के बाद बच्ची का पता बताने वाले को पाँच लाख का इनाम की घोषणा मार्च 2023 में जारी किया था.
अधिवक्ता ने पुलिस अधिकारियों के साथ सीबीआई पर उठाया सवाल
अधिवक्ता ने कोर्ट से यह भी अपील किया है कि इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारियों की भी मिलीभगत है. पॉलिग्राफ सभी पुलिस अधिकारियों का भी कराया जाए. जिससे इस अपहरण में संलिप्त पुलिस अधिकारियों का भी नकाब सामने आसके.उन्होंने बताया कि इस केस में कुछ अधिकारी जान बुझ कर अनुसंधान करने से बच रहे है. सीबीआई ने कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना की है.कोर्ट के आदेश के बावजूद केस को प्राथमिकता के आधार पर नहीं जांच किया. अब दो साल से अधिक समय से केस सीबीआई के हाथ में बावजूद बच्ची का पता नहीं लग पाना एक बड़ा सावल है.