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“हां, हम चोर हैं, क्योंकि हम आदिवासी-मूलवासी है” बसंत सोरेन के विस्फोटक बयान के मायने  

“हां, हम चोर हैं, क्योंकि हम आदिवासी-मूलवासी है” बसंत सोरेन के विस्फोटक बयान के मायने   

Ranchi-गांडेय उपचुनाव के लिए कल्पना सोरेन के नामांकन के बाद गिरिडीह के पपरवाटांड़ मैदान में बसंत सोरेन का भाषण सुर्खियों में है. बसंत सोरेन की भाषा में ठीक वही तल्खी और व्यंगवाणों की बौछार थी, जिसकी बारिश पूर्व सीएम हेमंत के भाषणों में देखने को मिलती थी. भाजपा और उसकी नीतियों को निशानें पर लेते हुए बसंत सोरेन ने कहा कि हमें हर वह गुनाह कबुल है, हर वह पाप स्वीकार है, जिसका आरोप भाजपा की ओर से मढ़ा जा रहा है, क्योंकि हम आदिवासी मूलवासी है, यही हमारी नियती है, क्योंकि भाजपा की नजर में हर आदिवासी मूलवासी चोर है. आदिवासी-मूलवासी समाज के प्रति उसका यही रवैया है. आदिवासी-मूलवासी समाज को देखने की उसकी यही दृष्टि है.

ढुल्लू महतो दूध का धूला है?

धनबाद भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो को निशाने पर लेते हुए बसंत सोरेन ने कहा जब भाजपा ढुल्लू महतो को धनबाद से टिकट देती है, तो वह दूध का धूला हो जाता है, महाराज हो जाता है, और हेमंत सोरेन चोर हो जाता है, जमीन चोरी का इल्जाम लगाया जाता है. यह स्थिति क्यों आती है, क्योंकि हम अल्पसंख्यक है, आदिवासी है, मूलवासी है, और यही हमारा अपराध है? बसंत सोरेन ने कहा कि राज्य के गठन का 24 साल हो गया, इन 24 सालों में किसका शासन रहा?  इन 17 वर्षों में भाजपा ने इस राज्य की जो दुर्गती की है, वह किसी से छूपा नहीं है. जमीन तो जमीन, हमारे पुरखों की अमानत जो हजारों साल से जमीन के अंदर पड़ी थी, वह भी भाजपा की इस गिद्ध दृष्टि से बच नहीं सकी. लेकिन आज हालत क्या है, यदि आदिवासी समाज विरोध का स्वर तेज करता है, तो उसे नक्सली करार दिया जाता है, यदि अल्पसंख्यक समाज प्रतिकार करता है, तो उसे आंतकवादी-देशद्रोही बताया जाता है, और यदि मीडिल क्लास इनकी लूट को सामने लाता है तो उसे अर्बन नक्सली बताया जाता है. आज सब कुछ इन लूटरों के हाथ में है, और यही प्रमाण बांटेगे की कौन चोर है कौन सन्यासी? हेमंत सोरेन को चोर बताने के पहले भाजपा को कमसे कम ढुल्लू महतो का चेहरा ही देख लेना चाहिए.

 सारा इल्जाम कबूल है   

आज हमारा हेमंत जेल के अंदर है, हमें सारा इल्जाम कबूल है, किसी आरोप से कोई इंकार नहीं है, हम इंकार कर भी नहीं सकतें. आदिवासी मूलवासी और अल्पसंख्यक समाज इन आरोपों से इंकार कर भी नहीं कर सकता, क्योंकि आज उसके पास इन आरोपों से इंकार करने का विकल्प ही नहीं है, लेकिन हमारे हाथ में यह जरुर है कि हम किसको चून कर भेजे, वह हमारे हाथ में है. वोट हमारे हाथ में हैं, वोट हमारा है, और हम इसी ताकत के बूते अपने उपर लगे सारे आरोपों का जवाब देंगे.

 क्या बदल रहे हैं बसंत

यहां याद रहे कि हेमंत सोरेन की मौजदूगी में, बसंत सोरेन का यह अंदाजे बयां देखने को नहीं मिलता था. बड़े भाई हेमंत की मौजूदगी में बसंत सोरेन की यह  प्रतिभा कुछ दबी-दबी सी नजर आती थी. लेकिन जब से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई है, बसंत सोरेन कई बार अपने अंदाजें बयां से लोगों को हैरत में डालते रहे हैं, कल का उनका बयान भी कुछ इसी प्रकार का था, वैसे सियासी जानकारों का दावा है कि बसंत सोरेन का यह बयान आदिवासी-मूलवासी समाज का धुर्वीकरण की सियासी कोशिश है, एक बेहद मंजे सियासतदान की तरह बसंत सोरेन इस पूरी लड़ाई को आदिवासी मूलवासी बनाम भाजपा बनाने की तैयारी में हैं, और इसी रणनीति के तहत "हां हम चोर हैं" का दांव खेल रहे हैं, ताकि आदिवासी-मूलवासी समाज में भाजपा के खिलाफ एक गुस्से का निर्माण हो, वैसे सियासी गलियारों में यह चर्चा पहले ही आम है कि  हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का भाजपा को नुकसान होने वाला है. आदिवासी समाज इसे अपनी अस्मिता का प्रश्न बना चुका है, बसंत सोरेन की कोशिश महज इसमें सियासी छौंक लगाने की है, अब देखना होगा कि चुनावी नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है? क्या भाजपा एक बार फिर से 14 में 12 सीटों पर अपना परचम लहराने में सफल होती है, या हेमंत के प्रति सहानूभूति की इस कथित लहर में उसे सीटों का नुकसान झेलना पड़ता है.  

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Published at:30 Apr 2024 01:09 PM (IST)
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