Ranchi- सेना जमीन घोटाले में रांची के सब रजिस्ट्रार वैभव मणि ने ईडी के सामने अपनी उन मजबूरों को बयां कर दिया है, जिसके तहत उन्हे मजबूरन सेना की जमीन का निबंधन करना पड़ा. साथ ही उस राज को भी उजागर कर दिया कि किसकी-किसकी संलग्नता इस जमीन घोटाले में थी और वह कौन से अधिकारी थें जिनके द्वारा बार बार धमकी देकर जमीन का निबंधन के लिए दवाब बनाया जा रहा था.
ध्यान रहे कि ईडी ने इस मामले में पहले ही प्रदीप बागची, बडगाई अंचल का सीआई भानुप्रताप, जमीन माफिया और रिम्सकर्मी अफसर अली के साथ दूसरे सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, इस मामले में अंतिम गिरफ्तारी रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन की हुई है, जिन्हे छह दिनों के रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है.
आरोपियों के सामने बैठाकर की जा सकती है पूछताछ
माना जा रहा है कि छवि रंजन को अब इन सभी आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर गहन पूछताछ की जायगी. जिसके बाद उनका बचना मुश्किल है. क्योंकि जिस प्रकार से वैभव मणि ने सारे राज को उजागर कर दिया है. उसके बाद छवि रंजन के सामने विकल्प बेहद सीमित हो गये हैं. हालांकि बहुत कुछ दूसरे आरोपियों के जवाब पर भी निर्भर करता है, क्योंकि दावा किया जाता है कि उक्त जमीन के सारे फर्जी दस्तावेज रिम्स कर्मी अफसर अली के द्वारा तैयार किया गया था. इस हालत में यदि जांच का दायरा बढ़ता है तो बहुत संभव है कि अभी और भी कई नाम और राज सामने आ सकते हैं.
कौन है वह सफेदपोश? जिसकी कृपा दृष्टी से छवि रंजन रहते थें बुलंद
क्योंकि इस पूरे खेल का मास्टर माइंड भले ही छवि रंजन हों, लेकिन इसके पीछे सफेदपोशों की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता. वजह साफ है, बगैर किसी राजनीतिक संरक्षण के सेना की जमीन निबंधित करवाने की हिमाकत कोई आईएएस कैसे कर सकता है? अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में कितने और राज से पर्दा उठता है. निश्चित रुप से उस नाम को सामने आते ही झारखंड की राजनीति में भूचाल मचना तय है.