रांची(RANCHI)- मोदी सरनेम को लेकर की गयी टिप्पणी के मामले में सूरत सेशन कोर्ट से राहुल गांधी को 13 अप्रैल तक के लिए जमानत मिल गयी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई तीन मई को होगी.
जानकारों को मानना है कि जमानत भले ही राहुल गांधी को मिली हो, लेकिन इससे सबसे बड़ी राहत भाजपा को मिली है. क्योंकि सजा का एलान होते ही पूरे देश में राहुल गांधी के पक्ष में सहानुभूति की लहर देखी जा रही थी. विपक्ष एक स्वर से राहुल गांधी के साथ खड़ा दिख रहा था.
अडाणी प्रकरण को लेकर पीएम मोदी से सवालों से असहज थी भाजपा
राहुल गांधी जिस प्रकार अडाणी प्रकरण को लेकर पीएम मोदी से सवाल दर सवाल पूछ रहें थें, 20 हजार करोड़ रुपये अडाणी की कंपनी में कहां से आये, यह सवाल उठाया जा रहा था, कहीं ना कहीं भाजपा उसमें फंसती नजर आ रही थी.
राहुल गांधी जिस आक्रमक तरीके से इस बात को आम लोगों तक ले जा रहे थें, उससे आम लोगों के मन में भी सवाल खड़ा होने लगा था. यह 20 हजार करोड़ किसका बड़ा सवाल बनता दिख रहा था. क्योंकि इस मामले में राहुल गांधी का साफ इशारा पीएम मोदी की ओर था.
अपमानजनक टिप्पणी तो बहाना है, राहुल गांधी को है सलटाना
राहुल गांधी पीएम मोदी से अडाणी की दोस्ती को लेकर भी सवाल पूछ रहे थें. अडाणी मोदी की यारी पर सवाल उठाये जा रहे थें. उससे यह माहौल बनने लगा था कि कथित अपमानजनक टिप्पणी तो मात्र बहाना है, भाजपा का असली निशाना तो राहुल गांधी को सलटाना है. यह सवाल तब और भी गहरा गया, जब सूरत कोर्ट के फैसले के महज 24 घंटों के अन्दर-अन्दर ही लोकसभा सचिवालय के द्वारा उनकी सदस्यता रद्द किये जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी.
विवाद की शुरुआत राहुल गांधी के बयान से हुई
यहां यह बता दें कि इस मामले की शुरुआत राहुल गांधी के एक बयान से हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा नीरज मोदी, ललित मोदी से लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी का नाम लेते हुए कहा था कि सारे चोंरों का सरनेम मोदी ही क्यों है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में दर्ज किया गया था मामला
जिसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन सबों के द्वारा यह दावा किया गया था कि मोदी सरनेम को चोर बताने से मोदी सरनेम वालों का अपमान हुआ है, इसी मामले की सुनवाई के दौरान सूरत की एक निचली अदालत ने राहुल गांधी को दो वर्षों की सजा का एलान कर दिया था, हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले के तुरंत बाद राहुल गांधी को जमानत दे दी थी, साथ ही कोर्ट के फैसले खिलाफ अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का मोहलत भी प्रदान किया था, लेकिन कोर्ट के फैसले के महज 24 घंटों के अन्दर अन्दर जिस प्रकार लोकसभा कार्यालय के द्वारा सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी की गयी, और जिस प्रकार राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश सुनाया गया, उससे कई सवाल खड़े होने लगे थें.
इसके बाद पूरे देश में राहुल गांधी के पक्ष में सहानुभुति की लहर देखी जा रही थी, आम धारण यह बनने लगी कि पीएम मोदी को लेकर राहुल गांधी के सवालों से भाजपा के अन्दर बेचैनी है, वह किसी भी प्रकार राहुल गांधी को संसद से बाहर करना चाहती है, अडाणी प्रकरण और मोदी अडाणी की यारी का जो सवाल राहुल गांधी के द्वारा लगातार उछाला जा रहा है, भाजपा उससे किसी भी कीमत पर मुक्ति चाहती है. साफ है कि अब जब राहुल गांधी को इस मामले में जमानत मिल गयी है. राहुल गांधी से ज्यादा आज भाजपा राहत महसूस कर रही होगी.